नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी की भतीजी से 5000 की रिश्वत की मांग, जनप्रतिनिधियों की अनुपस्थिति से सिस्टम लाचार, जनता ने जताई नाराजगी….

Pintu Kumar
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खोरीमहुआ: झारखंड में सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार का एक और शर्मनाक मामला सामने आया है। इस बार खुद नेता प्रतिपक्ष व धनवार विधायक बाबूलाल मरांडी के परिवार को इसका शिकार होना पड़ा है। बाबूलाल मरांडी की भतीजी ज्योति मरांडी ने आरोप लगाया है कि खोरिमहुआ अनुमंडल कार्यालय में जन्म प्रमाण पत्र को केवल ऑनलाइन कराने के नाम पर एक वकील द्वारा ₹5000 की रिश्वत मांगी गई।

ज्योति मरांडी ने बताया कि उसका जन्म प्रमाण पत्र पहले से बना हुआ है। अब उसे केवल ऑनलाइन अपडेट कराना है, लेकिन इसके लिए वह अपने पिता के साथ कई दिनों से अनुमंडल कार्यालय का चक्कर लगा रही है। बावजूद इसके, काम नहीं हो पाया। इसी दौरान एक वकील ने काम कराने के बदले ₹5000 की मांग की।

ज्योति ने सवाल उठाया, “जब नेता प्रतिपक्ष की भतीजी का काम बिना घूस दिए नहीं हो पा रहा है, तो आम जनता के साथ क्या होता होगा, ये समझा जा सकता है।”

इधर घटना की जानकारी मिलने के बाद अनुमंडल पदाधिकारी, खोरीमहुआ ने कहा की अधिवक्ता के खिलाफ झारखण्ड राज्य बार काउंसिल को पत्राचार कर अधिवक्ता पर गैर-विधिक कार्यों में संलिप्त होने और आम नागरिकों से अनुचित व मनमाने तरीके से धन की मांग किये जाने संबंधी अनुशासनात्मक कार्रवाई करने हेतु सूचित किया जायेगा। और आम नागरिकों से अपील किया है कि किसी को भी अधिवक्ताओं या किसी अन्य विधिक पेशेवर के द्वारा किसी प्रकार की अनुचित मांग या व्यवहार का सामना करना पड़े, तो वे तुरंत इसकी सूचना संबंधित अंचल/प्रखण्ड कार्यालय अथवा अनुमंडल कार्यालय को दें, ताकि त्वरित व निष्पक्ष कार्रवाई की जा सके। साथ ही उन्होंने अपील किया है कि लोगों को अपने कार्यो के लिए सीधा संबंधित कार्यालय में सम्पर्क करना चाहिए न कि किसी अन्य बाहरी व्यक्तियों से।

खोरीमहुआ अनुमंडल पदाधिकारी ने कहा कि जन्म/मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने हेतु आवश्यक कागजातों के साथ ऑनलाईन आवेदन स्थानीय नगर निगम/नगरपालिका/पंचायत कार्यालय/संबंधित सरकारी अस्पताल में किया जाता है, जो 21 दिन में प्राप्त हो जाता है। विलंब की स्थिति में सक्षम प्राधिकार (22 से 30 दिन तक के लिए पंचायत सचिवालय/नगर निगम/नगरपालिका, 31 दिन से 01 वर्ष तक के लिए जिला सांख्यकी कार्यालय एवं 01 वर्ष से ऊपर के लिए अनुमंडल कार्यालय) द्वारा निबंधन करने हेतु अनुमति प्रदान किया जाता है। अनुमंडल कार्यालय में जन्म/मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाईन आवेदन नहीं लिया जाता है।

घटना को लेकर क्या कहते हैं स्थानीय लोग…

इस घटना को लेकर स्थानीय लोगों में भी नाराजगी देखी गई। उन्होंने साफ कहा कि न तो विधायक और न ही सांसद कभी ब्लॉक या अनुमंडल कार्यालय में नजर आते हैं। ऐसे में आम जनता को कैसे पता चलेगा कि उनके क्षेत्र में क्या समस्याएं हैं? उन्होंने बताया कि आज खुद विधायक बाबूलाल मरांडी के भाई को भी यह जानकारी अनुमंडल कार्यालय जाकर मिली कि उनका भी काम नहीं हुआ है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर विधायक अपने क्षेत्र की वास्तविक समस्याओं को गंभीरता से लें और समय-समय पर ब्लॉक और अनुमंडल कार्यालय में औचक निरीक्षण करें, तो सिस्टम में सुधार संभव है। लोगों ने यह भी कहा कि “जब तक जनप्रतिनिधि अपनी विधायकी के पावर का सही इस्तेमाल नहीं करेंगे, तब तक आम जनता की परेशानियां जस की तस बनी रहेंगी।”

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