वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने मंईयां सम्मान योजना को ‘फ्रीबीज’ बताए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। बुधवार को सूचना भवन सभागार में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि कल्याणकारी योजनाओं को फ्रीबीज कहना उचित नहीं है। यह योजना राज्य सरकार द्वारा अपने संसाधनों से संचालित की जा रही है और इसके लिए किसी प्रकार का कर्ज नहीं लिया गया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि झारखंड सरकार बेहतर वित्तीय प्रबंधन की दिशा में लगातार काम कर रही है। अब हर तीन महीने में राजस्व विभागों की समीक्षा की जाएगी और हर छह महीने पर वित्त मंत्री स्वयं इसकी समीक्षा करेंगे। उन्होंने बताया कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों की वजह से राजस्व संग्रहण प्रभावित हुआ, बावजूद इसके प्रयास संतोषजनक रहे हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य का राजस्व संग्रहण लक्ष्य 1,06,999.57 करोड़ रुपये था, जिसमें से 92,189.10 करोड़ रुपये की वसूली हुई। यह लक्ष्य का 86.16 प्रतिशत है। वहीं, गैर-कर प्राप्तियों सहित कुल 1,03,469.82 करोड़ रुपये यानी बजट अनुमान का 80.27 प्रतिशत प्राप्त हुआ है।
इस मौके पर वाणिज्य विभाग के सचिव अमिताभ कौशल और वाणिज्य कर आयुक्त अमीत कुमार भी मौजूद थे। वित्त मंत्री ने एफआरबीएम अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि झारखंड ने अपनी ऋण लेने की क्षमता से कम ही कर्ज लिया है। साथ ही पीएल (पर्सनल लॉजर) एकाउंट में राशि रखने की प्रवृत्ति को उन्होंने गलत बताया और इसकी समीक्षा की बात कही। उन्होंने कहा कि सभी विभागों से इस संबंध में जानकारी मांगी गई है।

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