लगभग 80 वर्ष पूर्व पचंबा क्षेत्र में सेठ गोवर्धन दास नथमल फेंगेडिया जी द्वारा बालिकाओं की शिक्षा के लिए दान में दी गई भूमि पर स्थापित बालिका उच्च विद्यालय पचंबा आज जर्जर हालत में खड़ा है और किसी भी बड़े हादसे को न्योता दे रहा है। स्थानीय लोग इसे ‘लड़की हाई स्कूल’ के नाम से जानते हैं।
साल 1971 में बिहार सरकार द्वारा इसे सरकारी विद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ था। तब से अब तक हजारों बालिकाएं इस विद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर विभिन्न क्षेत्रों में अपना नाम रोशन कर चुकी हैं। लेकिन दुख की बात यह है कि यह ऐतिहासिक और शिक्षा की मशाल थामे विद्यालय आज खुद ही मरणासन्न अवस्था में पहुंच चुका है।
हालांकि विद्यालय परिसर में नई इमारत का निर्माण किया गया है, लेकिन पुरानी इमारत आज भी खंडहर रूप में मौजूद है। इसकी दीवारें किसी भी वक्त गिर सकती हैं और जानमाल की भारी क्षति हो सकती है। विद्यालय के ठीक सामने से एक व्यस्त सड़क गुजरती है, जहाँ दिनभर पैदल राहगीरों और स्कूली छात्राओं की आवाजाही बनी रहती है।
स्थानीय नागरिकों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि इस जर्जर भवन को अविलंब तोड़कर पुनर्निर्माण कराया जाए या कम से कम खतरनाक दीवारों को हटाया जाए।
मौसम की मार बन सकती है जानलेवा:
बरसात, आंधी और तूफान जैसे मौसमी बदलावों में यह जर्जर भवन कभी भी गिर सकता है। ऐसे में किसी भी बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता।