गिरिडीह जिला परिषद के सभागार में मंगलवार को आयोजित मासिक समीक्षा बैठक उस समय हंगामे का केंद्र बन गई, जब जिला परिषद के कई सदस्यों ने अधिकारियों पर मनमानी का आरोप लगाते हुए तीखा विरोध दर्ज कराया। बैठक की शुरुआत में ही सदस्यों ने अपनी उपेक्षा को लेकर नाराजगी जाहिर की और कहा कि उन्हें जनप्रतिनिधि होने के बावजूद न तो सम्मान मिल रहा है और न ही उनकी बातों को तवज्जो दी जा रही है।
सदस्यों ने कहा कि वे भी जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि हैं, लेकिन जिला परिषद कार्यालय में उनकी कोई सुनवाई नहीं होती। “क्या हमलोगों का कोई वजूद नहीं है? बार-बार ऑफिस के चक्कर काटने पड़ते हैं, पर अधिकारी और कर्मचारी सिर्फ विधायक और सांसद की बात सुनते हैं,” एक सदस्य ने नाराजगी जताते हुए कहा।
आक्रोशित सदस्यों ने यहां तक कह दिया कि जब उनकी कोई सुनवाई ही नहीं हो रही तो उन्हें बैठक में बुलाने का औचित्य ही क्या है। “अगर हम जनता की समस्याएं हल नहीं कर सकते तो हमसे इस्तीफा ले लीजिए,” एक अन्य सदस्य ने कहा।
बैठक में माहौल काफी गर्म रहा। कई सदस्यों ने खुलेआम अधिकारियों और कर्मचारियों पर मनमानी और भेदभावपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया। बैठक की अध्यक्षता जिला परिषद अध्यक्ष मुनिया देवी ने की। इस दौरान डीडीसी स्मिता कुमारी, जिला परिषद उपाध्यक्ष छोटेलाल यादव सहित कई सदस्य उपस्थित थे।
गौरतलब है कि हर माह जिला परिषद द्वारा विकास योजनाओं की समीक्षा को लेकर यह बैठक बुलाई जाती है, लेकिन अक्सर यह बैठक हंगामे की भेंट चढ़ जाती है। आज की बैठक में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला, जिससे विकास कार्यों की दिशा और दशा पर सवाल उठने लगे हैं।

मैं अभिमन्यु कुमार पिछले चार वर्षों से गिरिडीह व्यूज में बतौर “चीफ एडिटर” के रूप में कार्यरत हुं,आप मुझे नीचे दिए गए सोशल मीडिया के द्वारा संपर्क कर सकते हैं।