गैर मजरुआ खास जमीन की रसीद और खरीद-बिक्री पर फिर रोक, हाईकार्ट के फैसले के विरूद्ध झारखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी…

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रांची। झारखंड में गैर मजरुआ खास जमीन (GM Land) की खरीद-बिक्री और रसीद कटने को लेकर एक बार फिर असमंजस की स्थिति बन गई है। राज्य सरकार ने झारखंड हाईकोर्ट के हालिया फैसले को चुनौती देने का निर्णय लिया है और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका दायर की जाएगी। इस कदम के बाद राज्य में हजारों एकड़ गैर मजरुआ खास जमीन का स्वामित्व और लेन-देन फिलहाल ठप हो गया है।

 

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मई 2025 के पहले सप्ताह में झारखंड हाईकोर्ट की डबल बेंच (मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव एवं न्यायाधीश राजेश शंकर) ने राज्य सरकार की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया था, जिसके तहत 2015 से गैर मजरुआ खास जमीन सहित अन्य सरकारी भूमि की खरीद-बिक्री और निबंधन पर रोक लगाई गई थी।

 

यह आदेश 26 अगस्त 2015 को भू-राजस्व एवं निबंधन विभाग के तत्कालीन सचिव केके सोन के हस्ताक्षर से जारी किया गया था। इसमें निबंधन अधिनियम 1908 की धारा 22(क) का हवाला देते हुए केसरे हिंद भूमि, गैर मजरुआ आम एवं खास भूमि, वनभूमि, जंगल और सरकारी विभागों के लिए अधिग्रहित जमीनों के हस्तांतरण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई थी।

 

हाईकोर्ट ने इस आदेश को अवैध बताते हुए रद्द कर दिया था। लेकिन भू-राजस्व विभाग ने अब तक 2015 की अधिसूचना को समाप्त नहीं किया है, क्योंकि सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है।

 

गैर मजरुआ खास जमीन पर रोक हटाने को लेकर राज्यभर के रैयत और विभिन्न संगठन लगातार आवाज उठाते रहे हैं। झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने भी रोक हटाने की पुरजोर मांग की थी। इसके अलावा कई कंपनियों और व्यक्तियों ने भू-राजस्व विभाग के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इनमें रांची की सीएनडीटीए कंपनी, जमशेदपुर की मेसर्स वीएसआरएस कंस्ट्रक्शन, गिरिडीह की भगवती देवी एवं वीरेंद्र नारायण देव, तथा धनबाद के विनोद अग्रवाल शामिल हैं। इन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आदेश दिया था।

 

हाईकोर्ट के फैसले से प्रभावित लोग और जमीन मालिक उम्मीद में थे कि अब उनकी जमीन की खरीद-बिक्री और रसीद काटने की प्रक्रिया शुरू होगी। लेकिन सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने से फिर से निराशा का माहौल बन गया है।

 

राज्य सरकार ने अब तक 50,660 जमाबंदी धारकों की जमीन को संदेहास्पद या अवैध मानते हुए लगभग 94,000 एकड़ भूमि की रसीद काटने पर रोक लगा दी थी। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा गैर मजरुआ खास भूमि (लगभग 50,000 एकड़ से अधिक) का है।

 

सरकार का तर्क है कि इस श्रेणी की जमीनों पर कई बड़े भू-माफियाओं का कब्ज़ा है। पूर्व मुख्य सचिव राजबाला वर्मा के कार्यकाल में भी इन जमीनों की अवैध जमाबंदी की जांच और उन्हें रद्द करने का आदेश दिया गया था।

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