झारखंड के छात्रों के लिए बड़ी पहल, सभी स्कूलों में लागू होंगी NCERT की किताबें, होगी दक्षता आधारित मूल्यांकन प्रणाली…

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रांची: झारखंड के छात्रों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) ने निर्णय लिया है कि राज्य के सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों में अब एनसीईआरटी (NCERT) की किताबें लागू की जाएंगी और इसके साथ ही दक्षता आधारित मूल्यांकन प्रणाली (Competency-Based Assessment System) को भी अपनाया जाएगा। इस कदम से झारखंड के छात्रों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 का सीधा लाभ मिलेगा।

महंगी किताबों से मिलेगी राहत

जैक ने स्पष्ट किया है कि अब छात्रों को महंगी किताबें खरीदने की मजबूरी नहीं होगी। राज्यभर के सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें ही अनिवार्य होंगी, जिससे सभी छात्रों के लिए एक समान सिलेबस तैयार होगा। इससे ग्रामीण और शहरी इलाकों के बीच शिक्षा का अंतर भी कम होगा।

राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में होगा फायदा

जैक अध्यक्ष नटवा हांसदा ने कहा कि यह निर्णय छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। एनसीईआरटी आधारित पढ़ाई से छात्रों की NEP 2020 के प्रति समझ बढ़ेगी, साथ ही वे जेईई, नीट, सीयूईटी और अन्य राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बेहतर तैयारी कर सकेंगे। एक समान पाठ्यक्रम होने से प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने के लिए अलग से तैयारी का बोझ भी कम होगा।

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परीक्षाओं में आएंगे जीवन से जुड़े सवाल

बैठक में यह भी तय किया गया कि अब परीक्षा प्रश्नपत्र पारंपरिक रटने वाली पद्धति से हटकर वास्तविक जीवन से जुड़े सवालों पर आधारित होंगे। प्रश्न इस तरह से तैयार किए जाएंगे कि वे छात्रों की उच्च स्तरीय सोचने की क्षमता (Higher Order Thinking Skills) को विकसित करें और उन्हें विभिन्न विषयों के बीच संबंध समझने में मदद मिले।

शिक्षकों के लिए विशेष वर्कशॉप्स

नई प्रणाली को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए शिक्षकों और प्रश्नपत्र तैयार करने वालों के लिए कैपेसिटी बिल्डिंग वर्कशॉप्स आयोजित की जाएंगी। इन वर्कशॉप्स के माध्यम से शिक्षकों को नई मूल्यांकन पद्धति की पूरी जानकारी दी जाएगी ताकि वे उसी अनुरूप पढ़ाई और प्रश्नपत्र तैयार कर सकें।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की ओर बड़ा कदम

जैक अध्यक्ष ने कहा, “इस निर्णय से झारखंड में शिक्षा की गुणवत्ता में बड़ा सुधार होगा। बच्चों की पढ़ाई सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि यह उनके व्यवहारिक जीवन से भी जुड़ जाएगी। यह पहल उन्हें बड़े प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सक्षम बनाने के साथ-साथ जीवन कौशल विकसित करने में भी मदद करेगी।

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