हर माता-पिता की यही चाहत होती है कि उनका बच्चा पढ़ाई में अच्छा करे, हर बात जल्दी सीखे और उसे लंबे समय तक याद भी रखे। लेकिन आज के समय में यह चाहत पूरी कर पाना आसान नहीं रह गया है। बदलती जीवनशैली, असंतुलित खानपान, मोबाइल और स्क्रीन पर बढ़ता समय बच्चों की मानसिक क्षमता को प्रभावित कर रहा है। पढ़ाई में ध्यान न लगना, चीज़ें जल्दी भूल जाना और दिमागी थकान जैसी समस्याएं बच्चों में आम होती जा रही हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इसका कोई सुरक्षित और प्राकृतिक समाधान है? आयुर्वेद, जो भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है, इस समस्या का एक प्रभावी और बिना दुष्प्रभाव वाला जवाब देता है।
सीपीयू-पीएसआई सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन, योगा एवं संस्कार के डायरेक्टर (Hony) प्रोफेसर राम अवतार का कहना है कि बच्चों की मानसिक क्षमता और स्मरण शक्ति को बढ़ाने के लिए आयुर्वेद में कई ऐसे घरेलू नुस्खे बताए गए हैं, जो न केवल दिमाग को मजबूत करते हैं बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाते हैं।
बच्चों के मस्तिष्क के विकास के लिए सबसे प्रमुख और आसानी से उपलब्ध तत्व हैं – बादाम और अखरोट। इन्हें सदियों से दिमाग का पोषण करने वाला माना जाता है। प्रोफेसर राम अवतार बताते हैं कि रातभर पानी में भिगोकर रखे गए बादाम और अखरोट को सुबह छीलकर बच्चों को खिलाना चाहिए। बादाम में मौजूद प्रोटीन और विटामिन E दिमाग की कोशिकाओं को मजबूती देता है, जबकि अखरोट में पाए जाने वाले ओमेगा-3 फैटी एसिड से याददाश्त बेहतर होती है। दिलचस्प बात यह है कि अखरोट का आकार भी दिमाग जैसा होता है, और यही कारण है कि इसे मस्तिष्क के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है।
आयुर्वेद में काली मिर्च और सफेद मिर्च का प्रयोग भी मानसिक क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। काली मिर्च को छीलकर उसका ऊपरी छिलका, जिसे दखनी मिर्च कहा जाता है, निकाल लिया जाता है। इस छिलके को सफेद मिर्च के साथ मिलाकर बारीक पाउडर बना लिया जाता है। इस पाउडर की एक चुटकी शहद या गाय के घी के साथ सुबह देने से दिमाग की सक्रियता बढ़ती है और बच्चों में सुस्ती व आलस्य कम होता है।
गाय का घी भी बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक बेहतरीन उपाय माना गया है। यह न केवल पचने में आसान होता है, बल्कि यह दिमाग को ठंडक प्रदान करता है और मानसिक थकान को दूर करता है। हल्के गर्म दूध में गाय का घी मिलाकर बच्चों को देना उनके दिमागी विकास के लिए फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, किसी भी तरह का उपचार शुरू करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लेना जरूरी है।
इन उपायों का असर तुरंत दिखाई नहीं देता, लेकिन नियमित रूप से अपनाने पर यह बच्चों की एकाग्रता, स्मरण शक्ति और मानसिक विकास में सकारात्मक बदलाव लाते हैं। आधुनिक जीवनशैली में जहां जंक फूड और मोबाइल गेम्स ने बच्चों की दिनचर्या को बिगाड़ दिया है, वहां ऐसे पारंपरिक और प्राकृतिक नुस्खे एक नई उम्मीद जगाते हैं।
ध्यान देने वाली बात यह है कि आयुर्वेद केवल दवाइयों या नुस्खों तक सीमित नहीं है। यह जीवन जीने की एक पद्धति है। बच्चों को पर्याप्त नींद, संतुलित आहार, नियमित शारीरिक गतिविधि और स्क्रीन से दूरी जैसे आदतें सिखाना भी उतना ही आवश्यक है जितना कि उन्हें ये नुस्खे देना।
बच्चों का दिमाग तेज करने का कोई जादुई उपाय नहीं होता, लेकिन सही पोषण और आयुर्वेदिक तरीके अपनाकर उनके मानसिक विकास को प्राकृतिक ढंग से बढ़ाया जा सकता है। माता-पिता यदि धैर्य रखें और इन पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक जीवन में शामिल करें, तो उनका बच्चा निश्चित ही मानसिक रूप से मजबूत और पढ़ाई में होशियार बन सकता है।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. GIRIDIH VIEWS इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.