आजकल सोशल मीडिया पर एक चिंताजनक प्रवृत्ति देखने को मिल रही है। किसी भी पक्ष या विपक्ष के नेता के बयान पर कई लोग अपनी प्रतिक्रिया देते हैं, लेकिन कुछ लोग असहमति जताने के बजाय अपशब्दों का प्रयोग कर देते हैं। उन्हें यह एहसास तक नहीं होता कि उनके ऐसे कमेंट पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
हाल ही में कई मामलों में देखा गया है कि विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री तक को अपमानजनक शब्द कहने पर एफआईआर दर्ज कर दी गई। पुलिस ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई करती है।
बोलने की आज़ादी बनाम अपमानजनक भाषा
भारतीय संविधान सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Article 19) देता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप किसी को गाली दें या अपमानित करें। गलत शब्दों का प्रयोग करने पर आप पर निम्न धाराओं के तहत मामला दर्ज हो सकता है:
कौन-कौन सी धाराएं लग सकती हैं?
1. आईपीसी धारा 499 और 500 (मानहानि): किसी की छवि खराब करने पर 2 साल तक की सजा या जुर्माना।
2. आईपीसी धारा 504: जानबूझकर अपमान करने पर 2 साल तक की सजा।
3. आईपीसी धारा 505: अफवाह या गलत संदेश फैलाने पर 3 साल तक की सजा।
4. आईटी एक्ट धारा 67: सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक या अश्लील कंटेंट पोस्ट करने पर 3 साल तक की जेल और जुर्माना।
5. आईपीसी धारा 153A: धार्मिक या साम्प्रदायिक तनाव भड़काने पर 3 साल तक की सजा।
एक आरोपी ने क्या कहा?
हाल ही में प्राथमिक दर्ज होने के बाद एक व्यक्ति ने बताया कि उसने जानकारी के अभाव में और गुस्से में आकर अपशब्द प्रयोग कर दिए। अब उसके खिलाफ मामला चल रहा है।
क्या करें?
यदि आप किसी नेता के बयान से असहमत हैं, तो अपनी राय शालीन शब्दों में व्यक्त करें। अपशब्द, गाली या मानहानिकारक कमेंट से बचें। इससे आप न सिर्फ कानून के दायरे में रहेंगे बल्कि एक सभ्य सोशल मीडिया यूजर भी कहलाएंगे।