दुर्गा पूजा पर मौसम का असर! बंगाल की खाड़ी में बन रहे दो निम्न दबाव, झारखंड में बारिश के आसार….

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रांची: झारखंडवासियों को इस बार दुर्गा पूजा के दौरान भीगी फिजाओं में त्योहार मनाना पड़ सकता है। मौसम विज्ञान केंद्र, रांची ने संकेत दिए हैं कि राज्य में एक बार फिर मानसून सक्रिय हो गया है और दुर्गोत्सव के पूरे दौरान बारिश की संभावना बनी रहेगी।

बंगाल की खाड़ी में बनेगा नया सिस्टम

मौसम विभाग के निदेशक अभिषेक आनंद के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में दो नए निम्न दबाव क्षेत्र बनने की संभावना है। इन सिस्टमों का असर ओडिशा होते हुए झारखंड पर पड़ेगा। अनुमान है कि 15 सितंबर के बाद एक नया सिस्टम विकसित होगा, जिससे दुर्गा पूजा के दौरान हल्की से भारी बारिश हो सकती है।

2 से 5 सितंबर तक बदलेगा मौसम का मिजाज

वर्तमान में बंगाल की खाड़ी के उत्तर और मध्य हिस्से में बने सिस्टम के कारण राज्य में 2 से 5 सितंबर तक बादल छाए रहने की संभावना है। इस दौरान कई इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश होगी, जबकि 2 सितंबर को दक्षिणी और मध्य झारखंड में भारी वर्षा के आसार हैं। तेज हवाएं भी चल सकती हैं, जिनकी गति 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा तक रहने की संभावना है।

सितंबर में बारिश का औसत और पिछले पांच साल का रुझान

सितंबर महीने में सामान्य वर्षा 212.3 मिमी होती है। पिछले पांच वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2020 में 118.1 मिमी (44% कम), 2021 में 290 मिमी (37% अधिक), 2022 में 318.8 मिमी (50% अधिक), 2023 में 273.6 मिमी (29% अधिक) और 2024 में 333.1 मिमी (57% अधिक) बारिश हुई।

हालांकि, इस साल अगस्त में अपेक्षाकृत कम बारिश हुई। जहां औसत वर्षा 290.6 मिमी होनी चाहिए थी, वहीं केवल 251.5 मिमी ही रिकॉर्ड की गई, जो सामान्य से 13% कम है। यह पिछले पांच वर्षों में सबसे कम है, जबकि 2022 में इसी अवधि में 598.2 मिमी बारिश दर्ज की गई थी।

मानसून की अवधि बढ़ी, 15 अक्टूबर तक सक्रिय रहने के आसार

मौसम विभाग का मानना है कि इस बार मानसून सामान्य से कुछ ज्यादा सक्रिय रहेगा और 15 अक्टूबर तक जारी रह सकता है। विभाग का कहना है कि अगर सितंबर में तीन से चार दिन अच्छी बारिश हो गई, तो इस महीने का औसत कोटा आसानी से पूरा हो जाएगा।

कृषि और त्योहारों पर पड़ेगा असर

दुर्गा पूजा के दौरान बारिश से जहां आम जनजीवन प्रभावित हो सकता है, वहीं किसानों के लिए यह बारिश फायदेमंद साबित हो सकती है। सितंबर की बारिश खरीफ फसलों के लिए संजीवनी साबित हो सकती है।