प्रयागराज: महाकुंभ 2026 की भव्यता को याद दिलाता दृश्य एक बार फिर प्रयागराज में देखने को मिलेगा। संगम तट पर लगने वाले माघ मेला 2026 की तैयारियां तेज हो गई हैं। तीन जनवरी 2026 से शुरू होने जा रहा यह मेला न केवल आस्था का प्रतीक होगा, बल्कि आधुनिक प्रबंधन और तकनीकी सुविधा का भी उदाहरण बनेगा।
भीड़ और सुरक्षा दोनों पर प्रशासन की पैनी नजर
इस बार प्रशासन ने श्रद्धालुओं की भारी भीड़ की संभावना को देखते हुए सुरक्षा और सुगमता दोनों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। बीते महाकुंभ के दौरान हर स्नान पर्व पर उमड़े जनसैलाब ने अधिकारियों को पहले से ही सतर्क कर दिया है। इसी को ध्यान में रखते हुए मेला प्राधिकरण ने ‘एक माघ–एक कंट्रोल रूम’ की नई तकनीक को लागू करने का निर्णय लिया है।
‘एक माघ–एक कंट्रोल रूम’ — तकनीक आधारित मेला प्रबंधन
नई व्यवस्था के तहत माघ मेले के प्रत्येक सेक्टर में एक स्वतंत्र कंट्रोल रूम स्थापित किया जाएगा। ये कंट्रोल रूम न केवल भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा का केंद्र होंगे, बल्कि सूचना संप्रेषण और समन्वय का प्रमुख माध्यम भी बनेंगे।
इन सभी सेक्टर कंट्रोल रूमों को एक सेंट्रल कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा। इसका उद्देश्य यह है कि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई और पूरे मेला क्षेत्र में त्वरित तालमेल सुनिश्चित किया जा सके।
सात सेक्टरों में बसाया जाएगा मेला
प्रशासनिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, माघ मेला 2026 कुल सात सेक्टरों में बसाया जाएगा। प्रत्येक सेक्टर में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाई जाएगी। साथ ही, श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के लिए विशेष आकर्षण केंद्र और संतों के दर्शन स्थल भी तैयार किए जाएंगे।
इससे एक ओर भीड़ का दबाव किसी एक स्थान पर नहीं पड़ेगा, वहीं दूसरी ओर श्रद्धालु पूरे मेला क्षेत्र का भ्रमण कर सकेंगे। अधिकारियों का मानना है कि यह कदम मेले को अधिक संतुलित और सुव्यवस्थित बनाएगा।
श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर विस्तृत योजना
हाल ही में हुई समीक्षा बैठक में यातायात व्यवस्था, बसावट योजना और श्रद्धालुओं की सुविधाओं पर विस्तार से चर्चा की गई। प्रशासन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी श्रद्धालु या पर्यटक को असुविधा न हो।
इसके तहत पार्किंग स्थलों, अस्थायी आवासों, चिकित्सा सुविधाओं, स्वच्छता व्यवस्था और परिवहन मार्गों को नए सिरे से तैयार किया जा रहा है।
प्रयागराज को महसूस करने का अवसर
मेला प्राधिकरण का लक्ष्य केवल संगम स्नान तक सीमित नहीं है। अधिकारी चाहते हैं कि श्रद्धालु कुछ दिन प्रयागराज में रुककर इसकी सांस्कृतिक विरासत, आध्यात्मिकता और पर्यटन स्थलों का अनुभव करें। प्रयागराज की पहचान केवल स्नान और मेले से नहीं, बल्कि उसकी गंगा-जमुनी संस्कृति से भी जुड़ी हुई है, जिसे इस आयोजन के माध्यम से विश्व के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।
आस्था और तकनीक का संगम बनेगा माघ मेला 2026
प्रयागराज प्रशासन का यह प्रयास बताता है कि आने वाला माघ मेला न केवल आस्था का महासंगम होगा, बल्कि आधुनिक तकनीक और सशक्त प्रबंधन का प्रतीक भी बनेगा।
भविष्य की दृष्टि से देखें तो यह आयोजन प्रयागराज को न केवल धार्मिक मानचित्र पर बल्कि स्मार्ट आयोजन व्यवस्था के मॉडल के रूप में भी स्थापित करेगा।