गिरिडीह: लोक आस्था के महापर्व छठ की छटा आज (शनिवार) नहाय-खाय के साथ पूरे ज़िले में बिखर गई। भक्ति और श्रद्धा के माहौल में शुरू हुए चार दिवसीय इस महापर्व ने गिरिडीह को पूरी तरह से अध्यात्म के रंग में रंग दिया है। सूर्य उपासना का यह कठिन व्रत, जो पूर्ण शुद्धता और पवित्रता की मांग करता है, उसकी शुरुआत व्रतियों ने पूरे विधि-विधान से की।
नहाय-खाय की पावन शुरुआत
सुबह से ही शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में व्रती महिलाएं नदियों, तालाबों और निजी जल स्रोतों (चापानलों) में स्नान कर शुद्ध हुईं। इसके बाद, उन्होंने पवित्रता के साथ व्रत का संकल्प लेते हुए ‘नहाय-खाय’ का प्रसाद तैयार किया। परंपरा अनुसार, अरवा चावल, चने की दाल और विशेष रूप से कद्दू की सब्जी बनाकर सूर्य देव और विघ्नहर्ता भगवान गणेश को भोग लगाया गया। व्रतियों के घरों में दिन भर प्रसाद ग्रहण करने वालों का तांता लगा रहा, जिसने महापर्व के प्रति लोगों की अटूट आस्था को दर्शाया।
बाज़ारों में उमड़ी भीड़, उत्साह चरम पर
पर्व के शुरू होते ही बाज़ारों में रौनक और भी बढ़ गई है। गिरिडीह के प्रमुख बाज़ारों—बड़ा चौक, गांधी चौक और मकतपुर चौक—में छठ पूजा से संबंधित सामग्री, मौसमी फल और सब्ज़ियों की खरीदारी के लिए भारी भीड़ देखने को मिली। विशेष रूप से नहाय-खाय के लिए कद्दू की मांग में तेज़ी आई।
यह महापर्व, जो तन, मन और घर की पूर्ण शुद्धता के साथ मनाया जाता है, आने वाले तीन दिनों तक ज़िले में भक्ति और उत्साह का माहौल बनाए रखेगा। व्रती अब कल (रविवार) खरना करेंगे, जिसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होगा।