गांजा तस्करी के तीन आरोपी रिहा, अंतरराज्यीय मादक पदार्थ तस्करी का था आरोप

Pintu Kumar
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गिरिडीह: प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरविंद पांडे की अदालत ने शनिवार को गांजा तस्करी के मामले में तीन आरोपियों को रिहा कर दिया। इन पर अंतरराज्यीय मादक पदार्थों की तस्करी का गंभीर आरोप था।

मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक सुधीर प्रसाद ने बहस की, जबकि बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता महीप मंयक, राजेश कुमार और सुबोनील सामंता ने पक्ष रखा।

यह मामला 15 दिसंबर 2021 को बिरनी थाना क्षेत्र के तहत दर्ज किया गया था। आरोप था कि रोहित साव, भुनेश्वर यादव और ओडिशा के रंगला श्रीनिवास एवं शिवांगी मोहन राव ने गांजा तस्करी की। पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच की और आरोपपत्र दाखिल किया।

पुलिस का आरोप:

पुलिस के अनुसार, तत्कालीन थाना प्रभारी शर्मा नंद सिंह को सूचना मिली थी कि बिरनी थाना क्षेत्र के झूठा आम गांव में दो तस्कर मोटरसाइकिल पर गांजा लेकर जा रहे हैं। छापेमारी में रोहित साव और भुनेश्वर यादव को गिरफ्तार किया गया। उनकी निशानदेही पर ओडिशा के शिवांगी मोहन राव और रंगला श्रीनिवास को भी अभियुक्त बनाया गया।

पुलिस ने दावा किया कि शिवांगी मोहन राव के वाहन से भारी मात्रा में गांजा बरामद हुआ। साथ ही वाहन को भी जब्त किया गया। अभियोजन पक्ष ने 10 गवाहों की गवाही पेश की, जबकि बचाव पक्ष ने एक गवाह को अदालत में प्रस्तुत किया।

बचाव पक्ष की दलील:

बचाव पक्ष के अधिवक्ता महीप मंयक ने दलील दी कि पुलिस की जांच में कई तकनीकी खामियां थीं। उन्होंने कहा कि जिस वाहन से गांजा बरामद दिखाया गया, उसका मालिक शिवांगी मोहन राव नहीं बल्कि रंगला श्रीनिवास था। दोनों व्यक्तियों को एक ही व्यक्ति बताकर पुलिस ने गंभीर चूक की।

अधिवक्ता ने यह भी कहा कि एनडीपीएस एक्ट की धाराओं का पालन नहीं किया गया। यह भी तर्क दिया गया कि पुलिस ने इस मामले में मात्र औपचारिकता निभाई और साक्ष्य को गलत तरीके से पेश किया।

अभियोजन पक्ष की दलील

लोक अभियोजक सुधीर प्रसाद ने अदालत से कहा कि यह गंभीर अपराध है जिसमें कड़ी सजा होनी चाहिए। अभियुक्तों के पास से भारी मात्रा में गांजा बरामद हुआ था, जो कानून का गंभीर उल्लंघन है।

अदालत का फैसला:

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने तीनों आरोपियों को रिहा कर दिया। फैसले के बाद बचाव पक्ष के अधिवक्ता महीप मंयक ने कहा, “माननीय अदालत ने कानून और साक्ष्यों के आधार पर निर्णय लिया है। यह न्याय की जीत है।”

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