रांची रिम्स में इसी साल एमबीबीएस में दाखिला लेने वाली छात्रा काजल का नामांकन रद्द कर दिया गया है। काजल पर आरोप था कि उसने फर्जी जाति प्रमाणपत्र का इस्तेमाल कर अनुसूचित जाति (एससी) कोटे से सीट हासिल की थी। रिम्स प्रबंधन की जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद संस्था ने 20 नवंबर को उसे निलंबित करते हुए नामांकन रद्द करने की औपचारिक कार्रवाई शुरू कर दी है।
ओबीसी कैटेगरी की परीक्षार्थी, पर दाखिला एससी कोटे से

रिम्स प्रशासन द्वारा की गई जांच में यह महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया कि काजल ने नीट-यूजी 2025 की परीक्षा ओबीसी (नॉन–क्रीमी लेयर) श्रेणी में दी थी, जबकि उसने जेसीईसीई बोर्ड के माध्यम से एससी रैंक-1 के आधार पर एमबीबीएस की सीट प्राप्त की। जब रिम्स ने सत्यापन के लिए उससे एडमिट कार्ड की प्रति मांगा, तो छात्रा ने कार्ड “खो जाने” की बात कही। इससे प्रशासन का संदेह और गहरा गया।
गिरिडीह सीओ और जेसीईसीईबी की जांच में प्रमाणपत्र फर्जी
रिम्स ने 13 अक्टूबर को काजल के एससी प्रमाणपत्र की जांच हेतु जेसीईसीईबी और गिरिडीह सीओ को पत्र भेजा। गिरिडीह सीओ की विस्तृत जांच में पता चला कि छात्रा का जाति प्रमाणपत्र भैरो नामक खतियानी के आधार पर जारी किया गया था, जबकि काजल का उस परिवार से कोई संबंध नहीं मिला। छात्रा की वंशावली भी वास्तविक लाभुक परिवार से पूरी तरह अलग पाई गई। इसे स्पष्ट फर्जीवाड़ा माना गया।

इसके बाद जेसीईसीई बोर्ड ने 19 नवंबर को अपनी विस्तृत रिपोर्ट रिम्स को भेजी, जिसमें प्रमाणपत्र को गलत ठहराया गया।
रिम्स की कार्रवाई : प्रवेश शुरू से अवैध घोषित
रिम्स प्रबंधन ने बताया कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लिया गया कोई भी प्रवेश कानूनी रूप से आरंभ से ही अवैध माना जाता है। ओबीसी एनसीएल कैटेगरी में परीक्षा देने के बावजूद एससी कोटे की सीट लेना, वास्तविक एससी अभ्यर्थियों के संवैधानिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है।
इस आधार पर रिम्स ने 21 नवंबर को छात्रा को शो-कॉज नोटिस जारी कर समिति गठित की। समिति की रिपोर्ट में फर्जी प्रमाणपत्र का उपयोग होने की पुष्टि हुई, जिसके बाद छात्रा का नामांकन रद्द करने की प्रक्रिया आगे बढ़ा दी गई।
अगले पात्र एससी अभ्यर्थी को मिलेगा प्रवेश
रिम्स प्रशासन ने कहा है कि वह इस मामले की जानकारी जेसीईसीई बोर्ड को भेज रहा है ताकि अगले पात्र एससी श्रेणी के अभ्यर्थी को प्रवेश दिया जा सके। संस्था ने स्पष्ट किया कि इस प्रकार के फर्जीवाड़े से न केवल मेरिट प्रभावित होती है, बल्कि वंचित वर्गों के अधिकार भी छीने जाते हैं।

मैं अभिमन्यु कुमार पिछले चार वर्षों से गिरिडीह व्यूज में बतौर “चीफ एडिटर” के रूप में कार्यरत हुं,आप मुझे नीचे दिए गए सोशल मीडिया के द्वारा संपर्क कर सकते हैं।