गिरिडीह: झारखंड की राजनीति में हलचल बढ़ती नजर आ रही है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष प्रणव वर्मा इन दिनों पार्टी से नाराज चल रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, ऐसी संभावना जताई जा रही है कि वह झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) का दामन थाम सकते हैं। प्रणव वर्मा, जो कि पूर्व सांसद रीतलाल प्रसाद वर्मा के बेटे हैं।
बताया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उन्होंने पार्टी से कुछ अपेक्षाएं रखी थीं, लेकिन उन्हें उम्मीद के मुताबिक समर्थन नहीं मिला। प्रणव वर्मा को अपनी राजनीतिक कद-काठी और जनसंपर्क के दम पर भाजपा के संभावित उम्मीदवारों में से एक माना जा रहा था, परंतु टिकट न मिलने के बाद उनकी नाराजगी खुलकर सामने आ गई है।
सूत्रों के अनुसार, प्रणव वर्मा झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) में शामिल होने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, इस बारे में आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में उनकी जेएमएम में जाने की चर्चा जोरों पर है। यदि प्रणव वर्मा जेएमएम का दामन थामते हैं, तो यह कदम भाजपा के लिए बड़ा झटका हो सकता है।
प्रणव वर्मा की समाज में अच्छी पकड़ मानी जाती है। उनके पास अपने पिता रीतलाल प्रसाद वर्मा की राजनीतिक विरासत है, जिन्होंने सांसद के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। प्रणव वर्मा की राजनीति में सक्रियता और उनकी मजबूत जनसंपर्क क्षमता ने उन्हें क्षेत्र में एक प्रभावशाली नेता बना दिया है। यदि वे भाजपा छोड़ते हैं, तो इसका प्रभाव न केवल भाजपा पर बल्कि आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि प्रणव वर्मा जेएमएम में शामिल होते हैं, तो इससे भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है। वहीं, जेएमएम इस कदम का फायदा उठाने के लिए तैयार है, क्योंकि प्रणव वर्मा जैसे प्रभावशाली नेता का समर्थन पाने से पार्टी को मजबूती मिलेगी। आगामी कुछ दिनों में उनकी अगली राजनीतिक चाल पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।
प्रणव वर्मा का भाजपा से नाराज होना और जेएमएम में जाने की संभावना ने राज्य की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। उनकी अगली राजनीतिक रणनीति किस दिशा में जाएगी, इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं। अब देखना होगा कि प्रणव वर्मा की अगली कदम से झारखंड की राजनीति में क्या बदलाव आते हैं।