24 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर झारखंड भारत का 28वां राज्य बना था। इस ऐतिहासिक दिन को हर साल झारखंड स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह राज्य का निर्माण एक लंबे आदिवासी संघर्ष और अलग पहचान की मांग का नतीजा था। प्राकृतिक संसाधनों और बहुमूल्य खनिज संपदा से भरपूर, झारखंड आदिवासी जनजातियों का बहुसंख्यक राज्य है। इस अवसर पर, झारखंड के वर्तमान विकास और बिहार के साथ इसके अंतर को जानना अहम है।
झारखंड का विकास: खनिज से लेकर आधारभूत ढांचे तक विस्तार
झारखंड की स्थापना के बाद से राज्य ने खनिज संपदा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। यहां कोयला, लोहा, तांबा और अन्य खनिजों का दोहन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है, जो राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। औद्योगिकीकरण को प्रोत्साहित करते हुए कई बड़े उद्योगों की स्थापना की गई है। पिछले दो दशकों में राज्य में सड़कों, रेलवे नेटवर्क और हवाई अड्डों के विस्तार पर खासा जोर दिया गया है, जिससे झारखंड का बुनियादी ढांचा अब कहीं अधिक मजबूत हो गया है।
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी सुधार के कई कदम उठाए गए हैं। ग्रामीण और शहरी इलाकों में स्कूलों और चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार के प्रयास किए जा रहे हैं, हालांकि कई क्षेत्रों में अभी और सुधार की आवश्यकता बनी हुई है।
बिहार और झारखंड: क्या बदला है दोनों राज्यों में?
झारखंड और बिहार दोनों ही भारत के विकासशील राज्य हैं और गरीबी, बेरोजगारी, कुपोषण और सामाजिक असमानता जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। दोनों राज्यों का विकास मॉडल, हालांकि, काफी अलग है।
झारखंड, खनिज संसाधनों में समृद्ध है और इसके चलते औद्योगिक विकास में बिहार से आगे निकल गया है। राज्य में कोयला खदानों, लौह अयस्क और अन्य प्राकृतिक संपदाओं की प्रचुरता ने आर्थिक विकास को गति दी है। इसके साथ ही राज्य ने परिवहन और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण प्रगति की है। दूसरी ओर, बिहार को मुख्य रूप से कृषि प्रधान राज्य माना जाता है, जहां की अर्थव्यवस्था का अधिकांश हिस्सा कृषि पर निर्भर करता है।
झारखंड की चुनौतियां: रोजगार और सामाजिक असमानता
खनिज संपदा और उद्योगों के बावजूद झारखंड में गरीबी और बेरोजगारी अभी भी एक बड़ी चुनौती है। राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार की जरूरत महसूस होती है, खासकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में। आदिवासी जनजातियों के अधिकारों का संरक्षण और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारना भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
हालांकि राज्य में रोजगार के नए अवसर सृजित किए जा रहे हैं, लेकिन बेरोजगारी और कुपोषण जैसी समस्याएं अभी भी प्रदेश को पीछे खींच रही हैं। इस स्थापना दिवस पर सरकार ने आर्थिक और सामाजिक विकास को और अधिक गति देने की प्रतिबद्धता दोहराई है।
क्या झारखंड बिहार से आगे है?
खनिज संपदा और औद्योगिकीकरण के मामले में झारखंड ने बिहार के मुकाबले काफी प्रगति की है। राज्य का बुनियादी ढांचा भी बिहार से अधिक मजबूत माना जा रहा है। हालांकि, विकास के कई मानकों पर झारखंड को अभी लंबा सफर तय करना बाकी है। शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के क्षेत्रों में व्यापक सुधार की जरूरत है, ताकि राज्य सभी नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर बना सके।
मैं अभिमन्यु कुमार पिछले चार वर्षों से गिरिडीह व्यूज में बतौर “चीफ एडिटर” के रूप में कार्यरत हुं,आप मुझे नीचे दिए गए सोशल मीडिया के द्वारा संपर्क कर सकते हैं।