केंद्र ने झारखंड के बकाया राजस्व के दावे को नकारा, 3 वर्षों में 7790 करोड़ देने का दावा….

Abhimanyu Kumar
2 Min Read
Share This News
WhatsApp Channel Join Now

नई दिल्ली/रांची: झारखंड सरकार और केंद्र के बीच बकाया राजस्व को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पिछले कुछ महीनों से लगातार केंद्र सरकार पर 1.36 लाख करोड़ रुपये के बकाया राजस्व का दावा करते आ रहे हैं। हालांकि, केंद्र सरकार ने इस दावे को सिरे से नकारते हुए राज्य सरकार को बड़ा झटका दिया है।

लोकसभा में बिहार के पूर्णिया से सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के एक सवाल पर वित्त मंत्रालय ने लिखित जवाब में स्पष्ट किया कि कोयला राजस्व के नाम पर झारखंड सरकार का कोई बकाया केंद्र के पास लंबित नहीं है।

वित्त मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों को निधि आवंटन में कोई भेदभाव नहीं करती और झारखंड को पिछले तीन वर्षों में विभिन्न मदों के तहत 7,790 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई है। इनमें केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए सहायता अनुदान, वित्त आयोग अंतरण और पूंजीगत व्यय के तहत धनराशि शामिल है।

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े:

  • 2023-24 में झारखंड को 4,580.61 करोड़ रुपये दिए गए।
  • 2022-23 में 2,964.32 करोड़ रुपये आवंटित हुए।
  • 2021-22 में 246 करोड़ रुपये की राशि राज्य को मिली।

हेमंत सरकार की उम्मीदों को झटका

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का दावा रहा है कि अगर झारखंड को 1.36 लाख करोड़ रुपये का बकाया मिल जाता है, तो राज्य में कई विकास योजनाओं को गति दी जा सकती है। ‘मंईया योजना’ और अन्य लोक-लाभकारी वादों के सहारे सत्ता में लौटी सोरेन सरकार के लिए यह मुद्दा राजनीतिक और आर्थिक रूप से अहम है।

केंद्र के इस खंडन के बाद झारखंड सरकार के लिए यह स्थिति असहज हो सकती है, क्योंकि अब इस दावे पर जनता और विपक्ष सवाल खड़े कर सकते हैं। हालांकि, अब देखना होगा कि हेमंत सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है और विवाद किस दिशा में बढ़ता है।

 

Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page