रांची: झारखंड में शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक बार फिर से सवाल खड़े हो रहे हैं। इस बार मामला 11वीं कक्षा के छात्रों से जुड़ा है, जिनका भविष्य फिलहाल पूरी तरह से अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है। अप्रैल का आधा महीना बीत चुका है, लेकिन अब तक न तो परीक्षा कैलेंडर जारी हुआ है और न ही झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) की ओर से कोई स्पष्ट जानकारी सामने आई है। इस स्थिति ने छात्रों को भारी असमंजस में डाल दिया है।
छात्रों का कहना है कि वे यह तय ही नहीं कर पा रहे कि उन्हें 12वीं की पढ़ाई शुरू करनी चाहिए या 11वीं की परीक्षा की तैयारी में लगे रहना चाहिए। परीक्षा होगी भी या नहीं, इस पर कोई ठोस जवाब नहीं मिल रहा है।
वहीं अगर झारखंड के पड़ोसी राज्य बिहार की बात करें, तो वहां 11वीं कक्षा की परीक्षा 25 मार्च को ही समाप्त हो चुकी है और अब छात्रों को जल्द ही उनका रिजल्ट भी मिलने वाला है। बिहार की तुलना में झारखंड की शिक्षा व्यवस्था काफी पीछे नजर आ रही है।
झारखंड के ग्रामीण इलाकों और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए यह स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण बन गई है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले ऐसे कई छात्र हैं जिनके पास कोचिंग की सुविधा नहीं है। वे स्कूल और किताबों के भरोसे ही पढ़ाई करते हैं। ऐसे में जब सिलेबस पूरा नहीं हुआ है, परीक्षा की तारीख तय नहीं है और आगे की रणनीति भी स्पष्ट नहीं है, तो इन छात्रों के सामने भविष्य की राह और अधिक कठिन हो जाती है।
छात्रों की चिंता: कब होगी परीक्षा, कब शुरू होगा नया सत्र?
छात्रों का कहना है कि अगर मई में परीक्षा होती है, तो रिजल्ट जून में आएगा। ऐसे में 12वीं का नया सत्र कब से शुरू होगा? क्या जुलाई से पढ़ाई होगी या फिर सेशन आगे खिसक जाएगा? इससे न सिर्फ छात्रों का कीमती समय बर्बाद हो रहा है, बल्कि उनका मानसिक तनाव भी बढ़ रहा है।
कई छात्र तो कोचिंग संस्थानों में 12वीं की तैयारी भी शुरू कर चुके हैं। ऐसे में वे दुविधा में हैं कि वे 12वीं की पढ़ाई करें या फिर 11वीं के एग्जाम की तैयारी करें।
झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। न ही यह स्पष्ट किया गया है कि परीक्षा होगी या नहीं, होगी तो कब होगी। नतीजतन, छात्रों और अभिभावकों के बीच रोष और चिंता लगातार बढ़ रही है।
क्या कोई जवाबदेही तय होगी?
अब सवाल यह उठता है कि आखिर इस पूरे मामले का ज़िम्मेदार कौन है? छात्रों का भविष्य अगर बर्बादी की कगार पर पहुंच रहा है तो इसकी जवाबदेही किसकी है? क्या शिक्षा विभाग इस मसले को गंभीरता से लेगा?
छात्र और अभिभावक यही मांग कर रहे हैं कि अगर परीक्षा लेनी है तो उसकी तारीख जल्द तय की जाए, और अगर नहीं लेनी है तो भी स्पष्ट जानकारी दी जाए, ताकि छात्र अपनी आगे की रणनीति बना सकें।

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