रघुवर राज में हुई हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया को हाईकोर्ट ने किया रद्द


झारखंड हाइकोर्ट ने आज अहम फैसला सुनाते हुए पूर्व की बीजेपी सरकार में हुई हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द कर दिया है. हाइकोर्ट के इस बड़े फैसले से राज्य के आरक्षित 13 जिलों के हाई स्कूलों में 17,572 शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर रोक लग गया है. हाइकोर्ट ने 17,572 शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया के लिए निकाले गये विज्ञापन को खारिज कर दिया है.

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पलामू के हाई स्कूल की टीचर सोनी कुमारी एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एचसी मिश्रा की अध्यक्षता वाली झारखंड हाइकोर्ट की लार्जर बेंच ने यह फैसला सुनाया. याचिकाकर्ता की दलील थी कि तत्कालीन राज्य सरकार ने हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति में राज्य के 13 जिले को स्थानीय अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित कर दिया है, जो संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध है.

अपील में आंध्रप्रदेश के राज्यपाल के उस आदेश का भी हवाला दिया गया था, जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया था. कोर्ट के उसी फैसले के आधार पर झारखंड की राज्यपाल के फैसले को रद्द करने की मांग सोनी कुमारी की ओर से कोर्ट से की गयी थी. दरअसल, राज्यपाल ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें 13 जिलों को शेड्यूल एरिया और 11 जिलों को नॉन-शेड्यूल एरिया बताया गया था.

इस नोटिफिकेशन में कहा गया था कि शेड्यूल एरिया में सिर्फ उसी जिले के अभ्यर्थी हाई स्कूल में नौकरी के लिए आवेदन कर सकेंगे. नॉन-शेड्यूल एरिया के 11 जिलों में किसी को भी आवेदन करने की छूट दी गयी. सरकार ने इसी नोटिफिकेशन के आधार पर 17,572 शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने के तहत विज्ञापन जारी किया.

याचिकाकर्ता ने सरकार के इस विज्ञापन को संविधान के खिलाफ बताया. कहा कि राज्य सरकार के इस फैसले से इन जिलों में 100 प्रतिशत आरक्षण लागू हो जाता है, जिसकी इजाजत संविधान नहीं देता. सरकार के इस आदेश को रद्द किया जाये. कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील को स्वीकार करते हुए सरकार की ओर से जारी विज्ञापन को रद्द कर दिया. इसके साथ ही 17,572 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पर ग्रहण लग गया.

एक साल पहले 18 सितंबर, 2019 को झारखंड हाइकोर्ट ने हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया पर एक महीने के लिए रोक लगा दी थी. तत्कालीन चीफ जस्टिस हरीश चंद्र मिश्रा और जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने पहली नजर में राज्य सरकार के उस फैसले को गलत माना, जिसके तहत 13 जिलों को सिर्फ स्थानीय अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित किया गया. कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे लार्जर बेंच में रेफर कर दिया था.

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