01- छठ पर्व चार दिन का होता है. कार्तिक शुक्ल चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी और सप्तमी तिथि तक छठ का पर्व मनाया जाता है. षष्ठी के दिन शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. यह एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसे संध्या अर्घ्य कहते हैं. मान्यता है कि इस समय सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. इसीलिए प्रत्यूषा को अर्घ्य देने का लाभ मिलता है. कहा जाता हैं कि शाम के समय सूर्य की आराधना से जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
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02- षष्ठी के दूसरे दिन सप्तमी को उषाकाल में सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है. जिसे पारण कहते हैं. अंतिम दिन सूर्य को वरुण वेला में अर्घ्य दिया जाता है. यह सूर्य की पत्नी उषा को दिया जाता है. इससे सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती है.
03- मान्यता है कि उषाकाल के सूर्य की उपासना करने से मुकदमें में फंसे लोग निकल जाते हैं. आंखों की रोशनी बढ़ता है, अटके काम सलट जाते हैं. पेट की समस्या समाप्त हो जाती है. परीक्षा में लाभ मिलता है.
04- सूर्य की किरणें से विटामिन डी मिलती है. सुबह के सूर्य की आराधना से शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है. जिससे शरीर के रोग मिटते हैं, दोपहर की सूर्य आराधना से नाम और यश बढ़ता है और शाम के समय की आराधना से जीवन में संपन्नता आती है।
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