झारखंड में 13 दिसंबर से बिजली कटौती करने की दी चेतवानी, इन सात जिले में कटेगी बिजली


 

रांची: डीवीसी ने बोकारो, धनबाद, गिरिडीह, कोडरमा, रामगढ़, चतरा और हजारीबाग जिले की बिजली आपूर्ति में 13 दिसंबर से कटौती करने की चेतावनी दी है. इस संबंध में झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) को तीन दिसंबर को पत्र देकर सूचना दी गयी है. इसमें कहा गया है कि जेबीवीएनएल के पास बिजली मद में बकाये 4950 सौ करोड़ रुपये का भुगतान नहीं होने के कारण यह कदम उठाया जायेगा.

डीवीसी मुख्यालय कोलकाता के कार्यकारी निदेशक कॉमर्शियल अंजन डे ने कहा कि बिजली आपूर्ति के एवज में जेबीवीएनएल ने 30 नवंबर तक के 4950 करोड़ रुपये से अधिक के बकाये का भुगतान नहीं किया है़ यदि 13 दिसंबर तक बकाया का भुगतान शुरू नहीं किया गया, तो डीवीसी बिजली आपूर्ति में कटौती शुरू करेगा.

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राज्य की खपत का एक तिहाई बिजली देता है डीवीसी : डीवीसी

झारखंड को प्रतिदिन 650 मेगावाट बिजली की आपूर्ति करता है, जो राज्य की खपत का लगभग एक तिहाई है़ डीवीसी को 650 मेगावाट बिजली के एवज में जेबीवीएनएल को प्रतिमाह 150 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ता है. जेबीवीएनएल सितंबर 2020 से उसका भी भुगतान नियमित रूप से नहीं कर पा रहा है़

डीवीसी भी कर रहा आर्थिक संकट का सामना :

डीवीसी मुख्यालय कोलकाता के कार्यकारी निदेशक कॉमर्शियल अंजन डे ने कहा कि बकाया का भुगतान नहीं होने से डीवीसी को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. कोयला बिल का भुगतान करने में परेशानी हो रही है़ मालूम हो कि इसके पूर्व बकाया भुगतान को लेकर डीवीसी ने वर्ष 2020 के फरवरी, मार्च और जून माह में बिजली आपूर्ति में कटौती को लेकर पत्र भेजा था. बाद में राज्य सरकार से सकारात्मक वार्ता व बकाया राशि के कुछ भाग का भुगतान के बाद आपूर्ति जारी रखी गयी थी़

सितंबर में राज्य के खाते से सीधे काट लिए थे पैसे :

डीवीसी के बकाया भुगतान में विफल रहने पर एग्रीमेंट के हिसाब से सितंबर 2020 में आरबीआइ में जमा राज्य के पैसे से सीधे 1714 करोड़ रुपये काट लिये गये थे. हालांकि इस बाबत राज्य सरकार ने कोरोना काल में खराब आर्थिक हालात का हवाला देते हुए केंद्र से पैसे नहीं काटने का अनुरोध किया था, जिसे स्वीकार नहीं किया गया था. तब राज्य सरकार ने केंद्र से राज्य के मद में बकाया करोड़ों रुपये देने की मांग उठायी थी. अब एक बार फिर डीवीसी को पैसों का भुगतान करने में विफल रहने पर राज्य के सामने वही नौबत आ खड़ी हुई है.


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