झारखण्ड में क्लिनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट को पूरी तरह से लागूकर दिया गया है। जिससे राज्य में अब मेडिकल ट्रीटमेंट के नाम गरीब-गुरवों व आमजनों से की जाने वाली लूट पर कसेगा शिकंजा। ज्ञात हो कि इलाज के नाम असहाय मरीजों से निजी अस्पतालों व क्लिनिक द्वारा मनमानी वसूली की ख़बरें सामने आती रहती है। जिसपर हेमन्त सरकार ने संजीदगी से संवेदनशीलता का परिचय देते हुए, एक्ट को धरातल पर उतार दिया है। जो राज्यवासियों को कम खर्चों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराने की दिशा में कारगर साबित होगा।
आगामी 30 जनवरी तक राज्य के सभी निजी अस्पतालों को इस एक्ट के दायरे में आना होगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर झारखण्ड के सभी अस्पतालों का इस एक्ट के तहत निबंधन अनिवार्य होगा। हेमन्त सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले से राज्यवासियों में खुशी की लहर देखने को मिल रही है। राज्य के चौक-चौराहे, पंसारी दूकानों में चर्चा है कि अब निजी अस्पताल इलाज के नाम पर धन उगाही नहीं कर पायेंगे।
अस्पताल जाने में ग़रीबों को लगता था भय
कांके खटँगा गांव निवासी बबुआ मुंडा कहते हैं कि अस्पताल जाने से पहले यह सोचक भय लगता था कि पता नहीं इलाज में कितना खर्च होगा। डॉक्टर व अस्पताल प्रबंधन क्या कहेंगे। इलाज के दौरान क्या-क्या बेचना पड़ेगा। जमीन गिरवी रखनी पड़ेगी या घर बेचना होगा। लेकिन ऐसे समस्या के निदान की दिशा में हेमन्त सरकार द्वारा उठाया गया कदम प्रशंसनीय व स्वागतयोग्य है।
हेमन्त सरकार ने क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू कर किया है बेहतर काम
रातू रोड निवासी रवि जायसवाल कहते हैं हेमन्त सरकार ने गरीबजनों के लिए बेहतर काम किया। इस एक्ट के आने से निजी अस्पतालों की लूट खसोट वाली फीस वसूली पर रोक लगेगी।
स्वास्थ्य सुरक्षा पर सरकार का बड़ा कदम
ललित मुर्मू, जुनास गुड़िया, मोहन गोप समेत कई जिले वासियों का कहना हैं कि एक्ट के दायरे में अस्पतालों के होने से स्वास्थ्य सुरक्षा पर सरकार का बड़ा कदम है। वैसे भी इलाज के नाम पर निजी अस्पतालों में मनमानी वसूली करते रहते हैं। हर अस्पताल में इलाज के नाम पर लूट मची हुई है। लेकिन मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की यह पहल निश्चित रूप से कल्याणकारी साबित होगा।
क्लीनिकल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट
सभी अस्पतालों को अपनी सेवाओं के शुल्क, सरकार द्वारा निर्धारित सीमाओं के अंदर ही लेना होगा। हर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने वाली अस्पताल या संस्थान का दायित्व होता है कि वह आपातकाल स्थिति में रोगी का तत्काल इलाज शुरू करे। क्योंकि रोगी की जान बचाना सबसे पहला कर्तव्य है।
अस्पताल पहुंचने वाले मरीज का इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड और मेडिकल हेल्थ रिकॉर्ड अस्पताल प्रबंधक के पास सुरक्षित होना अनिवार्य होगा।
हर अस्पताल या क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा जिससे यह सुनिश्चित होगा कि संबंधित स्वास्थ्य संस्थान जनता को न्यूनतम सुविधाएँ-सेवाएं प्रदान करे।
अस्पतालों को स्वास्थ्य सुविधाओं के एवज में ली जानेवाली राशि को अंग्रेजी और स्थानीय भाषा में लिखकर बताना अनिवार्य होगा।
इस एक्ट से जुड़े प्रावधानों का उल्लंघन करने पर अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द हो सकता है व संस्थान पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
राज्य के सभी नर्सिंग होम्स, एलोपैथी, होम्योपैथी, आयुर्वेदिक, मेटरनिटी होम्स, डिस्पेंसरी क्लिनिक व जुड़ी स्वास्थ्य संस्थानों के सेवाओं पर नियम समान रूप से लागू होंगे।
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