चिकित्सक और एक्सपर्ट की कमी के कारण जिले का इकलौता सरकारी आईसीयू है बंद व शिशु स्वास्थ इकाई का हालात भी बदतर
गिरिडीह/अभिषेक कुमार:- स्वास्थ विभाग की उप सचिव सीमा कुमार उदयपुरी शुक्रवार को गिरिडीह सदर अस्पताल के साथ मातृत्व शिशु स्वास्थ इकाई का निरीक्षण की। इस दौरान उप सचिव के साथ सिविल सर्जन डा. सिद्धार्थ सन्याॅल और डीपीएम प्रतिमा मिश्रा व अस्पताल उपाधीक्षक मुर्मु भी मौजूद थे। उप सचिव ने निरीक्षण की शुरुआत मातृत्व शिशु स्वास्थ इकाई से की। तो सदर अस्पताल में हर तरफ गड़बड़ी और लापवाही ही दिखा। लेकिन निरीक्षण के दौरान कुछ युवकों ने सिविल सर्जन के मौजूदगी में ही उप सचिव से सदर अस्पताल की व्यवस्था की शिकायत किया। और कहा मैडम आप आई है तो आज व्यवस्था बेहतर लग रहा है। लेकिन हर दिन अस्पताल इतना साफ और बेड में स्वच्छ चादर नहीं रहते। युवकों की बातों को सुनकर उप सचिव ने सुधारने का भरोषा दिलाई। इधर चैताडीह स्थित मातृत्व शिशु स्वास्थ इकाई के हालत देख उपसचिव भी परेशानी दिखी। क्योंकि शौचालय गंदे थे, तो सिविल सर्जन ने सैप्टिक टैंक जाम होने की जानकारी दिया। इस दौरान सचिव शिशु स्वास्थ इकाई में भर्ती गर्भवती और प्रसूती से हर रोज मिलने वाले भोजन की जानकारी ली। कुछ महिलाओं ने वक्त पर भोजन नहीं मिलने का शिकायत की। तो एक महिला ने भोजन की क्वालिटी को ही खराब बता दी। निरीक्षण के क्रम में उप सचिव को यह भी जानकारी मिला कि शिशु स्वास्थ इकाई में कभी एक महिला चिकित्सक रहती है। तो कभी नजर ही नहीं आती। सिर्फ नवजात के चिकित्सक ही शिशु स्वास्थ केन्द्र में दिखते है।
इस दौरान उप सचिव जब सदर अस्पताल पहुंची। और अस्पताल के कोल्ड स्टोरेज, वार्ड का निरीक्षण की। लेकिन कुव्यवस्था और लापरवाही के बीच चल रहे अस्पताल की हाल देख हैरान हो गई। निरीक्षण के दौरान ही उपसचिव ने स्वीकारा कि सही तरीके से माॅनिटरिंग नहीं होने के कारण सदर अस्पताल का हाल इतना खराब है। इस बीच पत्रकारों से बातचीत के क्रम में उपसचिव ने बताया कि शिशु स्वास्थ केन्द्र और सदर अस्पताल में सफाई का सबसे अधिक बदइंतजामी है। सही तरीके से अस्पताल की व्यवस्था देखना वाला कोई नहीं है। एक सवाल के जवाब में उपसचिव ने भी कहा कि निरीक्षण से पहले जानकारी देकर आई। इसके बाद भी यह हालात है। अगर नहीं दी रहती तो कई गड़बड़ी और सामने आती। अस्पताल परिसर में बंद पड़े आईसीयू से जुड़े सवाल के जवाब में उपसचिव ने कहा कि संसाधनों के अभाव के कारण आईसीयू चल नहीं पा रहा है। ना तो चिकित्सक है और ना ही एक्सपर्ट। जो आईसीयू का संचालन कर सकें।
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