पोषण अभियान के तहत पोषण पखवाड़ा के सफल आयोजन को लेकर समाहरणालय परिसर से उपायुक्त ने हरी झंडी दिखाकर जागरूकता वाहन को रवाना किया



पोषण अभियान के तहत पोषण पखवाड़ा के सफल आयोजन को लेकर समाहरणालय परिसर से उपायुक्त ने हरी झंडी दिखाकर जागरूकता वाहन को रवाना किया


 पोषण पखवाड़ा जागरूकता अभियान 08 मार्च से 22 मार्च तक पूरे जिलेभर में चलाया जाएगा, इसके जरिए गर्भवती महिलाओं/माताओं एवं बच्चों के खान पान, स्वास्थ्य एवं पौष्टिक आहार की जानकारी दी जाएगी:- उपायुक्त


पोषण पखवाड़ा के सफल आयोजन को लेकर सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को एक-एक ट्रैकर उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे वे सभी लाभुकों को ट्रैक कर सरकारी लाभ से शत-प्रतिशत लाभुकों को लाभान्वित कर सकेंगे:- उपायुक्त

गिरिडीह, 10 मार्च 2021:- पोषण अभियान के अन्तर्गत पोषण पखवाड़ा के सफल संचालन को लेकर आज समाहरणालय परिसर से उपायुक्त-सह-जिला दंडाधिकारी ने हरी झंडी दिखाकर जागरूकता वाहन को रवाना किया। यह जागरूकता रथ 08 मार्च से 22 मार्च तक जिले भर में पोषण अभियान चलाया जाएगा। पोषण पखवाड़ा का उद्देश्य लोगों में पोषण संंबंधी जानकारी व व्यवहार परिवर्तन है ताकि कुपोषण के उन्मूलन में एक कदम आगे बढ़ा जा सके। पखवाड़े के दौरान गर्भवती माताओं को उनके खानपान की जानकारी देनी है, ताकि शिशु में कुपोषण को शुरुआती दौर में ही रोका जा सके।

पोषण के प्रति जागरूकता लाना जरूरी, पोषण अभियान का मुख्य उद्देश्य महिलाओं किशोरियों एवं बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण के संकेतकों में अपेक्षित सुधार लाना है:- उपायुक्त

इस दौरान उपायुक्त ने कहा कि पोषण अभियान के अंतर्गत पोषण पखवाड़ा का शुभारंभ किया गया है। यह अभियान पूरे जिले भर में 8 मार्च से 22 मार्च तक चलाया जाएगा। पोषण पखवाड़ा का दायित्व यह है कि जिले भर में जितने भी आंगनबाड़ी केंद्र हैं, सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर अधिकाधिक संख्या में माताओं, किशोरियों तथा बच्चों को पोषण से संबंधित जानकारियां उपलब्ध कराया जाय। आमतौर पर किसी भी बच्चे के लिए 1000 दिन काफी महत्वपूर्ण होते हैं, जन्म से पूर्व 9 महीने तथा जन्म के बाद 2 वर्ष महत्वपूर्ण होते हैं। इस 1000 दिन में माता एवं बच्चों के पोषण से संबंधित ध्यान रखना अतिआवश्यक होता है। इसकी शुरुआत गर्भधारण से ही प्रारंभ होती है, जब माताओं को अपना चेकअप करना एवं अपने बच्चें के विकास पर ध्यान देना होता है। साथ ही साथ चिकित्सक की सलाह लेना भी जरूरी होता है। गर्भवती महिलाओं के संस्थागत प्रसव हेतु सेविका/सहायिका मदद करती है। संस्थागत प्रसव के पश्चात बच्चे के पोषक तत्व व उसके से संबंधित जानकारी पोषण पखवाड़ा जागरूकता रथ के माध्यम से दी जाएगी। इसके अतिरिक्त बच्चों के खान-पान एवं कुपोषण से होने वाले दुष्परिणामों व पौष्टिक आहार की जानकारी दी जाएगी। प्रथम 6 महीने माता का दूध बच्चें के विकास लिए सर्वोत्तम होता है। बच्चे के जन्म के 03 वर्ष तक उसे घर का खाना उपलब्ध कराया जाता है। तत्पश्चात आंगनबाड़ी केंद्र उसका नामांकन कराया जाता है। आंगनबाड़ी केंद्र के जरिए बच्चे को उचित पौष्टिक आहार दिया जाता है, साथ ही साथ बच्चें को प्रारंभिक शिक्षा भी दी जाती है। 

कोई माताएं व बच्चें छूटे न, इस उद्देश्य से सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को एक-एक ट्रैकर उपलब्ध कराया गया है ताकि शत-प्रतिशत लाभुकों को सरकार द्वारा दिए जाने वाले लाभ समय उपलब्ध कराया जाय:- उपायुक्तत



उपायुक्त ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्र में आने वाले सभी बच्चों को उचित पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जाए। कोई भी बच्चा छूटे नहीं, इस हेतु जिले के सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने अपने कार्य क्षेत्र अंतर्गत सभी माताओं एवं बच्चों को ट्रैक करें। इस हेतु सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को एक-एक ट्रैकर उपलब्ध कराया जाएगा ताकि शत-प्रतिशत लाभुकों का पंजीकरण कराया जाए। इसका उद्देश्य यह है कि जिला का कोई भी माता एवं बच्चा छूटे नहीं। तथा सभी को सरकार द्वारा दिए जाने वाले लाभ ससमय उपलब्ध कराना है। उपायुक्त ने कहा कि जिला प्रशासन का यह प्रयास है कि पोषण पखवाड़ा जागरूकता रथ के माध्यम से जिले के सभी लोगों को पोषण, बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल, माताओं एवं बच्चों के लिए उचित पौष्टिक आहार व अन्य की जानकारी दी जाए। बच्चे हमारे देश के भविष्य हैं इसलिए उनकी सुरक्षा अतिआवश्यक है। उपायुक्त ने सभी जिलेवासियों से पोषण पखवाड़ा जागरूकता अभियान को सफल बनाने में अपेक्षित सहयोग करने की अपील की।

उक्त कार्यक्रम में जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी समेत संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page