Vat Savitri Vrat 2022: गिरीडीह की सुहागिनों ने की वट सावित्री की पूजा।


अरगाघाट में पूजा करती गिरिडीह की महिलाएं
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सुहागिनों ने की वट सावत्री की पूजा , अखंड सुहाग की मांगी मन्नत

ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर महिलाओं ने अखंड सौभाग्य के लिए बरगद के पेड़ की पूजा की। ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या पर वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। गिरीडीह में अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिन महिलाओं ने सोमवार को वट सावित्री व्रत रखकर पूजन अर्चन किया।

भोर से ही बरगद के वृक्ष के नीचे एकत्र होकर महिलाओं ने सामूहिक रूप से कथा का पाठ किया। वट सावित्री व्रत करने से अखंड सौभाग्य, सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी आयु की प्राप्ति का वरदान मिलता है।

सोमवार को पूरे गिरीडीह जिले में सुहागिन महिलाओं ने अपने सुहाग के दीर्घायु होने और उनकी कुशलता के लिए पूजा-उपासना किया। अमावस्या सोमवार को सायंकाल 4:59 तक है।

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कहा जाता है कि सावित्री व्रत कथा के श्रवण मात्र से महिलाओं के पति पर आने वाली बुरी बला टल जाती है। शास्त्रों में पीपल के पेड़ की तरह बरगद के पेड़ का भी खास महत्व है। पुराणों में ऐसा माना गया है कि वटवृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वास होता है। इस पेड़ के नीचे बैठकर पूजा और कथा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। यह पेड़ लंबे समय तक बना रहता है, इसलिए इसे अक्षयवट भी कहा जाता है।


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