क्या आप जानते हैं, झारखंड के सिमडेगा आए थे प्रभु श्रीराम? टांगीनाथ में गड़ा है परशुराम का फरसा अगर नहीं, तो जान लें विस्तार से और इस जगह की मान्यता…


source: internet

IMG-20240727-WA0000-1
Picsart_23-03-27_18-09-27-716

क्या आप जानते हैं, झारखंड के सिमडेगा आए थे प्रभु श्रीराम?

 क्या आप जानते हैं, टांगीनाथ में गड़ा है परशुराम का फरसा… अगर नहीं!! तो जान लें विस्तार से और इस जगह की मान्यता 

खास बात तो यह है की रामायण काल के कई अवशेष झारखंड में मिलते हैं. उन अवशेषों को आज भी लोगों ने संभाल कर रखा है. पूरी आस्था, श्रधा से इनकी पूजा होती है. मान्यता यह है कि वनवास के दौरान भगवान राम-सीता और लक्ष्मण सिमडेगा के जंगलों से गुजरे थे. वहीं, हनुमान का जन्म भी गुमला के आंजन धाम में हुआ था. सीता स्वयंवर में जब भगवान राम ने शिवजी का धनुष तोड़ा तो परशुराम गुस्सा हो गए. बाद में उन्हें भगवान के स्वरुप का पता चला, तो उन्होंने गुमला के टांगीनाथ में अपना फरसा गाड़कर तपस्या की. आज टांगीनाथ श्रधा का बड़ा केंद्र है.

वहीं रामरेखा धाम है जहां श्रीराम, मां सीता व लक्ष्मण ने गुफा में किया था विश्राम....

पवित्र रामरेखा धाम की मान्यता है कि वनवास काल में भगवान राम, मां सीता और लक्ष्मण के साथ यहां आए. यहां की गुफा में विश्राम किया था. धनुष कुंड, सीता चूल्हा, गुप्त गंगा और श्याम वर्ण के शंख को श्रीराम के यहां आने का प्रमाण माना जाता है. कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाले मेले में हजारों श्रद्धालु जुटते हैं. पवित्र कुण्ड में स्नान करते हैं. मान्यता है कि 19वीं सदी में बिरुगढ़ राजा हरेराम सिंहदेव गुफा में विश्राम कर रहे थे, तभी उन्हें राम-राम की ध्वनि सुनाई दी. आवाज श्याम वर्ण के शंख की थी. राजा ने देखा आसपास का इलाका साफ था, जैसे कभी वहां रह कर गया हो. इसके बाद और तथ्य सामने आए.

बीच गुफा में है श्रीराम मंदिर

धाम की गुफाओं के भीतर कई मंदिर हैं. मध्य में श्रीराम मंदिर है. रामरेखा बाबा जयराम प्रपन्नाचार्य जी महाराज का विश्राम गृह भी है. भक्तों के लिए गुफाओं में विश्रामालय हैं. धाम तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क है. तलहटी पर स्थित केसलपुर गांव तक बस चलती है.

आंजनधाम…. यहीं अवतरित हुए थे राम भक्त हनुमान

गुमला जिला मुख्यालय से 20 किमी की दूरी पर स्थित है आंजन पर्वत. कहा जाता है कि पहाड़ की चोटी पर मौजूद गुफा में माता अंजनी ने हनुमान को जन्म दिया था. पुजारी चंदरा भगत बताया कि माता अंजनी ने भगवान शिव से पुत्र प्राप्ति की मनोकामना की थी. इसके बाद आंजन पर्वत की गुफा में पवन स्पर्श से माता अंजनी ने हनुमान को जन्म दिया था. माता अंजनी शिव की परम भक्त थी. वह हर दिन भगवान की विशेष पूजा करती थीं. आंजन गांव में 360 शिवलिंग, इतने ही तालाब व महुआ के पेड़ थे. प्रत्येक दिन माता अंजनी तालाब में स्नान कर अलग-अलग शिवलिंग की पूजा करती थी. इसके प्रमाण अब भी मिलते है. आज भी इलाके में बड़ी संख्या में शिवलिंग हैं.

Picsart_24-03-04_04-01-19-666
Picsart_22-05-25_12-04-24-469
Picsart_24-04-04_11-48-44-272
टांगीनाथ धाम… साक्षात भगवान शिव का है यहां वास
गुमला के टांगीनाथ धाम में भगवान शिव का वास है. धाम के परिसर में खुले आसमान के नीचे 108 शिवलिंग और कई देवी-देवताओं की प्राचीन मूर्तियां हैं, जो दुर्लभ है. मान्यता है कि यहां भगवान परशुराम का फरसा गड़ा है. फरसा को झारखंड की स्थानीय भाषा में टांगी कहा जाता है, इसलिए ये स्थल टांगीनाथ धाम से प्रसिद्ध है. बीहड़ जंगल में बने इस धाम में त्रिशूल के आकार का फरसा है. सैकड़ों सालों से खुले आसमान के नीचे होने के बावजूद लोहे के फरसे पर जंग नहीं लगी है. जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर डुमरी ब्लॉक में स्थित है टांगीनाथ धाम. पहाड़ी इलाके पर मौजूद टांगीनाथ धाम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.

-Advertisment-

Picsart_23-02-13_12-54-53-489
Picsart_22-02-04_22-56-13-543
Picsart_24-02-06_09-30-12-569
Picsart_24-03-22_12-08-24-108
Picsart_24-03-22_12-11-20-925
Picsart_24-03-22_12-10-21-076
ऐसे ही देश-दुनिया की तमाम खबरों के साथ जुड़े रहें गिरिडीह व्यूज के साथ..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page