जिले में अपंजीकृत,लिंग निर्धारण एवं लिंग जांच करने वाले क्लिनिक्स चिकित्सकों की अब खैर नहीं,इन धाराओं के तहत होगी कार्रवाई…


जिले में अपंजीकृत,लिंग निर्धारण एवं लिंग जांच करने वाले क्लीनिक चिकित्सकों की अब खैर नहीं,इन धाराओं के तहत होगी कार्रवाई

 उपायुक्त-सह-जिला दंडाधिकारी, श्री नमन प्रियेश लकड़ा की अध्यक्षता में PC &PNDT ACT) के तहत एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। उक्त कार्यशाला की शुरुआत करते हुए उपायुक्त ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा *”बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मुहिम”* के तहत गिरिडीह जिले में लिंग अनुपात में सुधार के प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहा कि लिंग निर्धारण एवं लिंग जांच करने वाले क्लीनिक, चिकित्सक एवं अन्य की पहचान कर गर्भ धारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994 (PC &PNDT ACT) अंतर्गत जिला में अनुश्रवण का कार्य करने का निर्देश प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994 (PC &PNDT ACT) का मुख्य उद्देश्य गर्भ धारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व लिंग चयन का निषेध करना तथा लिंग आधारित आधारित गर्भपात पर प्रतिबंध लगाकर गिरते लिंगानुपात को सुधारना है। लिंग चयन या लिंग निर्धारण के विभिन्न चिकित्सीय तकनीकों के दुरुपयोग पर रोक लगाने एवं पीसीपीएनडीटी अधिनियम के क्रियान्वयन हेतु सभी अनुमंडल पदाधिकारी को अपने-अपने अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत समुचित प्राधिकारी के रूप में नामित किया गया है।

 जिले में लिंग निर्धारण एवं लिंग जांच करने वाले क्लिनिक्स चिकित्सक एवं अन्य की पहचान कर होगा कार्रवाई

इसके अलावा बैठक में उपायुक्त ने बताया कि पीसीपीएनडीटी एक्ट के धारा 17, उपधारा (5), (6) अंतर्गत जिला स्तर पर सलाहकार समिति का गठन किया गया है। उक्त समिति की बैठक में क्लीनिकों के पंजीकरण, नवीनीकरण, निलंबन, स्पष्टीकरण तथा निरस्तीकरण संबंधित निर्णय लिया जाएगा।
साथ ही समुचित प्राधिकारी द्वारा जिला अंतर्गत पंजीकृत एवं अपंजीकृत क्लिनिक्स द्वारा किए गए नियमित निरीक्षण से संबंधित प्रतिवेदन पर भी आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। इसके साथ ही सभी समुचित प्राधिकारियों को नियमित रूप से अपने अनुमंडलीय क्षेत्र में अल्ट्रासाउंड क्लीनिक, जेनेटिक काउंसलिंग सेंटर, जेनेटिक लैबोरेट्री, जेनेटिक क्लिनिक, इमेजिंग सेंटर, आई.वी.एफ सेंटर आदि के पंजीकरण, नवीनीकरण, निलंबन, स्पष्टीकरण तथा निरस्तीकरण, कोर्ट केस, अपील, क्लीनिक का निरीक्षण, सील करना तथा लिंगानुपात को सुधारने संबंधी उचित रणनीति पर कार्य किया जाएगा। इसके अलावा सिविल सर्जन, नियमित रूप से पीसीपीएनडीटी एक्ट अंतर्गत जिला सलाहकार समिति की बैठक आयोजित कराने हेतु आवश्यक कार्रवाई करेंगे। साथ ही जिले में मुखबिर योजना का प्रचार प्रसार कर यथाशीघ्र लिंग निर्धारण/लिंग जांच करने वाले क्लीनिक/चिकित्सक/अन्य पर उचित कार्रवाई हेतु Decoy Operating/Sting operation की योजना तैयार कर उचित कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।

(PC &PNDT ACT) के तहत प्रावधान:-

1. प्रत्येक केन्द्र को सामान्य सरल एवं क्षेत्रीय भाषा में जनसामान्य की जानकारी के लिए बोर्ड लगाना चाहिए कि लिंग निर्धारण कानूनन गलत है। और ऐसा करना कानूनी अपराध है।
2. कम से कम पी०सी० पी० एन०डी०टी० अधिनियम की एक प्रति अवश्य उपलब्ध होनी चाहिए और मांगने पर प्रार्थी अथवा निरीक्षण टीम को प्रस्तुत भी करनी चाहिए।
3. संचालक द्वारा किसी भी ऐसे चिकित्सक को अल्ट्रासाउण्ड करन हेतु नहीं रखना चाहिए जिसके पास कानून में की गयी व्याख्या के अनुरूप योग्यता न हो।
4. प्रत्येक केन्द्र पर एक ऐसा रजिस्टर रखना चाहिए जिसमें किसी भी प्रकार प्रसव पूर्व गर्भ जांच तकनीकी का इस्तेमाल (मुख्यता अल्ट्रासाउण्ड ) किया गया हो, का पता एवं अन्य जानकारी तिथिवार लिखा होना चाहिए।
5. प्रत्येक महिला जिसकी जांच की गयी हो, उसका कानून के अंतर्गत निर्धारित प्रपत्र भरा होना चाहिए। अल्ट्रासाउण्ड के संबंध में प्रारूप एफ. (Form F) भरा जाना चाहिए।
6. अधुरा वा गलत सूचना अनु0 5 या 6 का उल्लंघन माना जायेगा।
7. प्रत्येक प्रारूप एफ के साथ रेफरल स्लिप इत्यादि भी संलग्न होने चाहिए।
8. दस्तावेज कम से कम दो साल या यदि कोई मामला कोर्ट में हो तो वह जब तक खत्म न हो जाए तक तक सुरक्षित रखना चाहिए।
9. यह सभी दस्तावेज निरीक्षण टीम / समुचित प्राधिकरण को आवश्यकतानुसार अवलोकनार्थ उपलब्ध कराये जाने चाहिए।
10. यदि ऐसे दस्तावेज संस्थान / क्लीनिक के द्वारा कम्प्यूटर पर रखे जाते हों तो उनकी प्रिन्टेड कॉपी अधिकृत व्यक्ति के द्वारा हस्ताक्षरित कॉमी रिकॉर्ड हेतु रखी जानी चाहिए।
11. प्रतिमाह जांच की हुई गर्भ संबंधी ऐसी सभी जांचों का ब्यौरा हर माह की पांच तारीख तक जिला समुचित प्राधिकारी (सिविल सर्जन) को भेजना चाहिए।
12. समुचित प्राधिकारी के कार्यालय में मासिक रिकार्ड जमा करने के बाद रिकार्ड जमा करने का साक्ष्य भी रखना चाहिए।
13. केन्द्र पर किसी भी प्रकार के परिवर्तन जैसे स्थान, पता, नयी मशीन खरीद संचालक चिकित्सक की संख्या में वृद्धि पर उनके आवश्यक दस्तावेज के साथ ऐसी सूचना को समुचित प्राधिकारी को उपलब्ध कराना चाहिए व दस्तावेज रिकॉर्ड में भी उपलब्ध होना चाहिए।
14. मशीनों का संचालन करने वाले डॉक्टर का नाम।
15. यदि मशीन किसी वजह से खराब है और उसे मरम्मत की आवश्यकता है या मशीन का उपयोग किसी कारणवश कुछ समय के लिए नहीं किया जा रहा हो तो ऐसी सूचनाएँ समुचित प्राधिकारी को देनी चाहिए और मशीन का उपयोग किसी अन्य स्थान मेला / कैम्प इत्यादि में किया जाना हो तो पूर्व अनुमति समुचित प्राधिकारी से प्राप्त की जानी चाहिए।
इसके अलावा सिविल सर्जन ने कहा कि* बेटा-बेटी एक समान है। हमें ये समझने की आवश्यकता है। आगे उन्होंने कहा कि गर्भावस्था में लिंग जांच नहीं करें। ये एक अपराध है। उन्होंने कहा कि ऐसा करने और कराने वाले, दोनों को कानून में कड़ी सजा का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि बार-बार गर्भपात से मां के स्वास्थ्य को खतरा होता है।
एकदिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला में उपरोक्त के अलावा आईएएस प्रशिक्षु, सिविल सर्जन, जिला परिवहन पदाधिकारी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी, जिला नजारत उप समाहर्ता, सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, डीपीएम, एनएचएम, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मी उपस्थित थे।

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