◆ आंध्र प्रदेश के तट पर बसा एक द्वीप है श्रीहरिकोटा. यहां स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर भारत का प्राइमरी स्पेसपोर्ट है. साल 1969 में इस जगह को सैटलाइट लॉन्चिंग स्टेशन के रूप में चुना गया था.
◆ इसका मुख्य कारण है कि ज्यादातर सैटेलाइट्स पृथ्वी की परिक्रमा इक्वेटर के पास ही करते है. दक्षिण भारत के बाकी जगहों की तुलना में इक्वेटर के ज्यादा पास है. इसलिए यहां से रॉकेट लॉन्च करने पर काफी पैसों की बचत होती है.
◆ श्रीहरिकोटा का ज्योग्राफिकल लोकेशन काफी यूनिक है. ये एक लंबा आइलैंड है जिसके एक तरफ पुलिकट लेक है और दूसरी तरफ बंगाल की खाड़ी.
◆ स्पेसपोर्ट को इंसानों की रहने वाली जगह से दूर बेस किया जाता है, ये ज्यादातर रेगिस्तान, तटीय इलाका या आइलैंड होता है.
◆ कई बार रॉकेट के लॉन्च होने के बाद उसके कई कंपोनेंट्स धरती पर गिरते हैं, क्योंकि श्रीहरिकोटा समुद्र के पास है अगर कंपोनेंट्स गिरे तो वो सीधा बंगाल की खाड़ी में गिरेंगे.
◆ रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन ऐसी जगह पर होनी चाहिए जो रॉकेट के इंटेंस वाइब्रेशन को झेल सके. श्रीहरिकोटा इस क्राइटेरिया को बखूबी निभाता है.
◆ मौसम की दृष्टी से भी श्रीहरिकोटा परफेक्ट है क्योंकि ये जगह साल के दस महीने सूखी रहती है. साथ ही दोनों तरफ से पानी से घिरा होने की वजह से भी ये काफी सिक्योर जगह है.
◆ 19 अक्टूबर 1971 में आर एच-125 को सबसे पहले इस स्टेशन से लॉन्च किया गया था. ये सैटेलाइट मौसम और वायुमंडल की स्टडी के लिए स्पेस में भेजा गया था.
◆ आपकी जानकारी के लिए ये भी बता दें कि श्रीहरिकोटा भारत का पहला स्पेसपोर्ट नहीं था. केरल में स्थित थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन से भारत का पहला साउडिंग रॉकेट लॉन्च हुआ था.
◆ अब भारत अपने तीसरे लॉन्चिंग स्टेशन की तैयारी कर रहा है. ये इसरो के स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) प्रोग्राम के लिए बनाए जाने की तैयारी है. ये कुलशेखरपट्टनम, तमिलनाडु में पूर्वी तट पर बनेगा.
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