Jharkhand Dham: अद्भुत है बाबा झारखंड धाम मंदिर का इतिहास, भोलेनाथ करते हैं भक्तों की मुराद पूरी


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गिरिडीह : जिले का एक प्रमुख प्रखंड जमुआ यहां का धार्मिक स्थल है, जिसे “बाबा झारखंड नाथ महादेव मंदिर” के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है और यहां के श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक महत्व है.

मंदिर का महत्वपूर्ण इतिहास

मान्यता है कि महाभारत युद्ध के दौरान भगवान शिव ने अर्जुन को यहीं पाशुपात अस्त्र दिया था, और उस समय से ही इस मंदिर की महत्वपूर्ण भूमिका बनी। उस समय, इस स्थल पर घने जंगल थे, और वहां एक पत्थर था, जिसका आकार शिवलिंग का था। छातिर लोग उस पत्थर पर चढ़कर पेड़ से बैर तोड़ते थे। एक दिन अचानक उस पत्थर से रक्त का फव्वारा फूटा, जिसे देखकर लोग इसे शिवलिंग मानने लगे। इसके बाद, यह मंदिर “स्वयंभू” के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

छत विहीन मंदिर

इस मंदिर का एक अद्वितीय विशेषता है कि यह छत विहीन है, और छत ढ़लाई का कोई प्रयास कभी भी असफल रहा है। विश्वास है कि भगवान शिव को खुले आसमान तले रहने में अधिक पसंद है और इसलिए छत ढ़लाने की कोशिश कभी भी असफल रही है।

मंदिर के साथ अन्य देवालय

मंदिर समिति और श्रद्धालुओं के साथ, यहां अन्य देवालयों का निर्माण भी किया गया है, जैसे कि भगवान गणेश, मां पार्वती, हनुमान, मां काली, मां सरस्वती, मां दुर्गा, भगवान राम लक्ष्मण माता सीता, भगवान विश्वकर्मा, राधाकृष्ण के मंदिर

श्रद्धालुओं की मनोकामनाओं का पूरा होना

यहां भगवान शिव के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का जमावड वर्ष भर लगा रहता है, और भोलेबाबा श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। अक्सर श्रद्धालु यहां आकर व्रत और तपस्या का पालन करते हैं ताकि उनकी मनोकामनाएं पूरी हों, और भोलेबाबा के स्वप्न में दर्शन करने के बाद ही वापस जाते हैं।

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पूर्णिमा और सोमवरी को ज्यादा भीड़

हर माह पूर्णिमा और सोमवरी के अवसर पर भोलेबाबा का दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है. झारखंड के अलावा, बिहार उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से श्रद्धालु यहां आते हैं. शुभ मुहूर्त पर बच्चों के मुंडन और यज्ञोपवीत संस्कार भी संपन्न किए जाते हैं. विवाह के मुहूर्त पर शादी भी कराई जाती है. मान्यता है कि यहां शादी होने से दांपत्य जीवन सुखी होता है.

सावन में उमड़ती है कांवरियों की भीड़

श्रावन महीना में भोलेनाथ को जलार्पण के लिए कांवरियों की भीड़ उमड़ पड़ती है. देवघर और बासुकीनाथ में जलार्पण के बाद कांवरिये यहां पहुंचकर भगवान भोलेनाथ पर जलार्पण करते हैं.

महाशिवरात्रि के दिन लाखों की भीड़

यहां हर वर्ष महाशिवरात्रि हर्षोल्लास से मनाया जाता है. महोत्सव में भाग लेने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. शिव और पार्वती विवाह समारोह का भी आयोजन किया जाता है. इस वर्ष भी महाशिवरात्रि को लेकर मंदिर परिसर को सजाया गया था. दो दिवसीय मेला का भी आयोजन किया जाता है. विधि विधान से योग्य पंडित शिव-पार्वती विवाह संपन्न कराते हैं. विवाह के बाद ढ़ोल-नगाड़े के साथ शिव बारात निकाली जाती है.

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