कहते हैं मेहनत पर भरोसा करने वाले किस्मत के सहारे नहीं बैठा करते. इस शख्स ने ऐसा साबित भी करके दिखाया. उन्हें अपने जीवन में तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ा. वो उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे से ताल्लुक रखते हैं. सरकारी स्कूल से पढ़ाई की. अंग्रेजी बोलना नहीं आता था. घर में पैसों की भारी किल्लत थी. बचपन में तो पढ़ाई में भी दिल नहीं लगता था. जब नौकरी की शुरुआत की तो महीने के केवल 10 हजार रुपये ही मिलते थे. 35 बार कंपनियों ने रिजेक्ट किया. लेकिन फिर उन्होंने जो किया, वो आज दुनिया के लिए बड़ी सीख है.
इनका नाम मनु अग्रवाल है. इन्हें अपनी मेहनत के दम पर काफी अच्छे पैकेज पर नौकरी मिली. उनका पैकेज 1.9 करोड़ रुपये का रहा. लेकिन ये यात्रा उतनी भी आसान नहीं थी.
उन्होंने एक मीडिया प्लैटफॉर्म पर अपनी कहानी सुनाई है. उनका मानना है कि नौकरी से भी इंसान अमीर बन सकता है. उन्होंने सफल होने के लिए जिस एक ट्रिक का इस्तेमाल किया, वो है बस आगे बढ़ते रहना. एक जगह सफलता मिलने के बाद वहीं नहीं ठहरना, बल्कि ऊपर की सीढ़ियां चढ़ते जाना.
मनु ने अपनी कहानी की शुरुआत करते हुए कहा कि स्कूल के समय पढ़ाई में मन नहीं लगता था. कक्षा 10वीं में केवल 60 फीसदी अंक आए. झांसी के एक कॉलेज से बीसीए कर रहे थे, जिसकी फीस भी पिता ने मां की ज्वेलरी गिरवी रखकर दी.
कॉलेज प्लेसमेंट के दौरान 10 हजार रुपये की नौकरी मिली. लेकिन इससे घर चलाना मुश्किल था. अपना दूसरा सेमेस्टर खत्म करने के बाद वो दो महीने के लिए हैदराबाद आ गए. यहां नौकरी के लिए इंटरव्यू की तैयारी की.
तब प्लेसमेंट के लिए जो कंपनियां आईं, उसमें अमेजन भी शामिल थी. वो इसमें रिजेक्ट हो गए. फिर दूसरी कंपनी आई माइक्रोसॉफ्ट. इसमें सारे राउंड पास किए. उन्हें इस कंपनी में इंटर्नशिप मिल गई. इसमें 45 हजार रुपये महीना मिल रहे थे. उन्हें मई 2016 के बाद इंटर्नशिप के लिए हैदराबाद आना पड़ा. तब मनु ने अपनी जिंदगी की पहली फ्लाइट ली.
इस इंटर्नशिप में उनका समय सुबह 9 से शाम 6 बजे था. लेकिन ज्यादा सैलरी लेने वाले एक पर्सेंट लोगों में शामिल होने के लिए उन्होंने रात को एक बजे तक काम किया. उनकी मेहनत के कारण उन्हें माइक्रेसॉफ्ट का फुल टाइम ऑफर मिला. इंटरव्यू के सारे राउंड पास किए.
हैदराबाद में इंटर्नशिप पूरी करने के दो महीने बाद जब वो कॉलेज पहुंचे, तो पता चला कि उनका सिलेक्शन हो गया है. नौकरी में हर महीने 21 लाख रुपये मिलेंगे. मगर मनु अभी भी संतुष्ट नहीं थे. इसके बाद उन्होंने अधिक पैसे कमाने के लिए दूसरी बड़ी कंपनियों में अप्लाई करना शुरू कर दिया.
इस दौरान वो 35 बार रिजेक्ट हुए. कभी पहले राउंड में, कभी दूसरे, तो कभी सारा प्रोसेस खत्म होने के बाद रिजेक्शन मिला. अब उन्होंने देश से बाहर की कंपनियों के लिए अप्लाई करना शुरू कर दिया. उन्हें लंदन की एक कंपनी से ऑफर मिला. उन्होंने अमेरिका जाने के लिए माइक्रोसॉफ्ट में ही बड़ी पोजीशन के लिए भी इंटरव्यू दिए. वो बस कोशिश करते रहे.
मनु दो साल तक अमेरिका में रहे. इस दौरान उन्हें अंग्रेजी बोलने में भी दिक्कत आ रही थी. लेकिन अपनी इस कमी पर उन्होंने काम किया. यहां उन्हें तीन प्रमोशन मिले. उनका 1.2 करोड़ का सालाना पैकेज बढ़ता हुआ 1.5 करोड़ और फिर 1.9 करोड़ तक पहुंच गया. मनु ने बाद में गूगल के लिए भी काम किया. आज उनकी सफलता की कहानी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है.
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