8वीं में फेल होने के बाद भी नहीं मानी हार, खड़ा किया 50,000 करोड़ का बैंक


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जरूरी नहीं है की जीवन में सफलता एक बार में ही मिल जाए लेकिन मंजिल के सफर में आने वाले को देखकर डर जाने या हार जाने से कोई अपनी मंजिल नहीं पा सकता। आज हम आपको रूबरू करवाएंगे एक ऐसे लड़के से जो बार-बार असफल होने के बाद भी अपना मुकाम हासिल किया। 

यह कहानी है एक ऐसे साधारण से लड़के की जो आठवीं में फेल हो गया और फिर दो बार चार्टर्ड अकाउंटेंट की परीक्षा में भी फेल हो गया। तीसरी बार किसी तरीके से मेहनत कर नौकरी पाई लेकिन नौकरी रास नहीं है और जीवन में ऐसे मोड़ आए कि वह आज एक बड़ी से कंपनी का मालिक है। उसे लड़के का नाम है संजय अग्रवाल। 

संजय अग्रवाल राजस्थान के जयपुर के रहने वाले हैं और अपनी आठवीं तक की पढ़ाई इन्होंने यही से की हालांकि आठवीं में यह फेल हो गए। तत्पश्चात इन्होंने दो बार सीए की परीक्षा भी दी और वहां भी असफलता ही हाथ लगी। हालांकि तीसरी बार कड़ी मेहनत के बाद सीए की मेरिट लिस्ट में उन्होंने जगह पा ली और नौकरी करनी शुरू कर दी। ज्यादा दिन तक नौकरी नहीं की और 1996 में पांच लोगों से पैसा उधार लेकर एनबीएफसी (नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी) की स्थापना की। इसका नाम था एयू फाइनेंशियर्स (AU Financiers) । 

उन्होंने इस कंपनी को शुरू करने के लिए कड़ी मेहनत करनी शुरू कर दी हालांकि अभी कंपनी में काम चलना शुरू ही हुआ था कि अचानक 1997 में 1200 करोड रुपए का चैन रूप भंसाली स्कैन सामने आ गया इस कारण लोगों का संजय अग्रवाल की कंपनी से भरोसा डगमगाने बनाने लगा लोग इस स्कैन की वजह से उन पर भरोसा करना बंद कर दिए। यह स्थिति और एयू फाइनेंशियर्स के लिए बड़ी समस्या सामने लेकर आई। 

 अब एक तरफ संजय अग्रवाल के धंधे का बैंड बाजा हुआ था वहीं दूसरी ओर उनकी बहन अरुणा कैंसर से जूझ रही थी अब ऐसे में इन्होंने भाई का फर्ज निभाते हुए 2000 में वह अपनी बहन को इलाज के लिए लंदन लेकर चले गए। हालांकि इन्होंने अपनी बहन को कैंसर से बचा लिया और फिर जयपुर लौट पड़े। लौट के बाद इन्होंने अपने बिजनेस को नए स्तर से चलने की कोशिश की और 2003 में एचडीएफसी के साथ एयू फाइनेंशियर्स ने पार्टनरशिप कर ली। 

एचडीएफसी से पार्टनरशिप करने के बाद संजय अग्रवाल की टीम सोने की खरीद बेच का काम करना भी शुरू कर दिया साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में महज 18 फीस भी सालाना ब्याज पर वाहनों के लिए लोन 24 घंटे के अंदर पास होना शुरू हो गया इस तरह कंपनी ने अच्छा काम करना शुरू कर दिया। 

कहते हैं ना कि जब भी कोई अच्छा काम करो तो दूसरों की नजर जरूर लगती है तो बस यही हुआ संजय अग्रवाल के साथ जैसे-जैसे उनकी कंपनी तरक्की की सीढ़ियां चढ़ती गई बड़े निवेशकों की निगाहें इस कंपनी पर गड़ती गई। इस कंपनी पर मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट एक्टिविटी की नजर पड़ी मोतीलाल ने एयू फाइनेंशियर्स में 20 करोड़ रुपये का निवेश किया। 

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इस तरह कंपनी धीरे-धीरे मुकाम पर पहुंचने लगी जून 2011 तक एयू ने सात राज्यों में मौजूद अपनी डेढ़ सौ ग्राम से 1,25,000 ग्राहकों को 1508 करोड रुपए का लोन बांट दिया था। इसके बाद इस कंपनी ने व्हीकल लोन के लिए सुजुकी और टाटा मोटर्स के साथ भी पार्टनरशिप कर ली और हाउसिंग लोन के लिए नेशनल हाउसिंग कंपनी के साथ पार्टनरशिप कर ली। एयू और आगे बढ़ी तो 250 करोड़ रुपये का निवेश आ गया. निवेश करने वालों में वारबर्ग पिन्कस, क्रिस कैपिटल और आईएफसी शामिल थे।

सितंबर 2013 तक कंपनी ने 4200 करोड रुपए का लोन लोगों को बांट चुकी थी और संजय अग्रवाल लगातार मेहनत करते जा रहे थे। वही 2015 में रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने फाइनेंस के क्षेत्र में इस कंपनी की एक क्रांतिकारी घोषणा की। इसके बाद बैंकिंग सेक्टर के लिए एक अलग कैटेगरी बनी स्मॉल फाइनेंस बैंक। तब एयू एकमात्र ऐसी NBFC थी, जो लाइसेंस पाने में कामयाब रही। 

 धीरे-धीरे कंपनी सफलता के सीढ़ियां चढ़ती रही आए दिन इसकी तरक्की दुगनी से चौगुनी बढ़ने लगी। 2017 में इस कंपनी ने 1912.51 करोड़ रुपये का आईपीओ लाया। इस कंपनी को लेकर लोगों का भरोसा इतना अधिक बढ़ गया था कि लोग आंख बंद कर इस कंपनी पर विश्वास करते थे। और 2017 में यह एक शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंक बन गया। मार्च 2018 में इस बैंक ने राज्य में लगभग 306 ब्रांच खोली और 293 एटीएम लगाए और कुछ समय में ही या फॉर्च्यूनर इंडिया 500 कंपनी बन गई। यह कंपनी उसे मुकाम तक अब तक पहुंच गई थी जहां पहुंचना इतना आसान नहीं है। 

बता दे कि AU Small Finance Bank मैं सेविंग अकाउंट पर ही 7.5 फ़ीसदी पर ब्याज मिलता है। वरिष्ठ नागरिकों को इसी अवधि के लिए एफडी पर 8.77% ब्याज मिलता है. ज्यादा ब्याज दरों के चलते ही, एफडी कराने के लिए इन दिनों लोग स्माल फाइनेंस बैंकों का रुख करते हैं। ऐसे में संजय अग्रवाल की कंपनी लोगों के लिए उम्मीद की नई किरण बनी।

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