झारखंड राज्य को प्रकृति और सौंदर्य के साथ ही साथ प्राचीन मंदिरों का आशीर्वाद मिला है। यहां एक से बढ़कर एक मंदिर आकर्षण का केंद्र है साथ ही मंदिरों के प्रति लोगों की अटूट भक्ति और आस्था उन मंदिरों को और भी ज्यादा मनोरम और सुंदर बना देती है। झारखंड में ऐसे कई मंदिर हैं जो नए भी बने हैं और बहुत ऐसे हैं जो बहुत पुराने भी हैं। इन्हीं नए मंदिरों में एक मंदिर है राजधानी रांची में स्थित सुरेश्वर महादेव मंदिर। बता दे कि इस मंदिर की स्थापना 7 अगस्त 2022 को हुई थी। यहां पहले एक बजरंगबली का छोटा सा मंदिर था और साथ में ही एक शिवलिंग भी मौजूद था जिस पर लोगों की अटूट श्रद्धा और भक्ति देखने को मिलते थे। सुरेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण भक्तों और समाजसेवियों ने मिलकर करवाया था। इस मंदिर में सालों भर लोगों का आना-जाना लगा रहता है लेकिन सुरेश्वर महादेव मंदिर में सावन को लेकर तैयारी कुछ खास ही होती है। सावन में सुरेश्वर मंदिर की खूबसूरती और भक्ति का अलग ही महत्व होता है।
झारखंड की राजधानी रांची की केतारी बागान में स्थित सुदेश्वर महादेव मंदिर भक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र बना रहता है। इस मंदिर को बने हुए अभी 2 साल भी नहीं हुए हैं पर इसकी लोकप्रियता इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है कि लोग दूर-दूर से इस मंदिर को देखने आते हैं। बता दे की सुरेश्वर महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग की लंबाई करीब 108 सीट है जो इस देश के दूसरे सबसे बड़े शिवलिंग के रूप में स्थापित है। इतने बड़े शिवालय को देखकर सबकी आंखें फटी की फटी रह जाती है। यहां हजारों शिव भक्त भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर में महाशिवरात्रि श्रावण मास और इस मंदिर की स्थापना दिवस के दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं और इस भव्य शिवालय के दर्शन करते हैं। इस मंदिर के एक और खास बात है कि इस प्रसिद्ध मंदिर के बगल से स्वर्ण रेखा नदी उत्तरायण बहती है। जो इस मंदिर को और भी ज्यादा प्रसिद्ध और आकर्षक बनाती है।
वैसे तो सावन को लेकर सभी महादेव मंदिर में तैयारियां चलती रहती है लेकिन सुरेश्वर महादेव मंदिर में सावन को लेकर खास तैयारी चल रही है। श्रावण मास में बड़ी संख्या में श्रद्धालु 108 फीट ऊंचे शिवालय के दर्शन करने आते हैं। बता दे की सावन के पूरे महीने हर दिन बाबा का विशेष सिंगार किया जाता है और हर दिन अलग-अलग रूपों में बाबा सभी को दर्शन देते हैं। बाबा को अलग-अलग रूप में देखने के लिए भक्तों का ताता लगा रहता है। यह मंदिर कर्नाटक और उड़ीसा के कारीगरों द्वारा निर्मित किया गया है इस मंदिर में भगवान शिव अपने पूरे परिवार और नदी के साथ विराजमान है। इस मंदिर की लोकप्रियता और बनावट की वजह से यह आकर्षण का केंद्र बनी रहती है साथ ही इस मंदिर से लोगों की अटूट श्रद्धा और भक्त भी जुड़ी हुई है।
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