Makar Sankranti 2025: 13 या 14 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्रांति? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Abhimanyu Kumar
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कर संक्रांति, हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व, हर साल जनवरी में मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास में पड़ता है। इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी। इस पर्व का धार्मिक और सामाजिक महत्व अत्यधिक है। इस दिन से ऋतु परिवर्तन भी प्रारंभ होता है, और शुभ कार्यों की शुरुआत मानी जाती है।

मकर संक्रांति का महत्व

यह पर्व सूर्य देवता की उपासना का प्रतीक है। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने आते हैं। चूंकि शनि मकर राशि के स्वामी हैं, इसीलिए सूर्य और शनि का यह मिलन धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया है। साथ ही, इस समय शुक्र के उदय होने के कारण शुभ कार्यों का आरंभ भी यहीं से होता है।

शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti 2025 Shubh Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, 14 जनवरी 2025 को प्रातः 8:41 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे।

• पुण्य काल: सुबह 9:03 से शाम 5:46 तक

• महापुण्य काल: सुबह 9:03 से 10:48 तक

मकर संक्रांति पर किए जाने वाले कार्य

1. स्नान एवं सूर्य अर्घ्य:

प्रातःकाल स्नान कर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। लाल फूल और अक्षत डालकर सूर्य को अर्घ्य देने से विशेष फल मिलता है।

2. पाठ एवं पूजा:

श्रीमद्भागवत या गीता का पाठ करें। सूर्य के बीज मंत्र का जाप करने से शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।

3. दान-पुण्य:

नए अन्न, तिल, घी, कम्बल, गुड़, मूंगफली और बर्तन दान करें। यह दान विशेष रूप से गरीबों और मजदूर वर्ग के लिए किया जाता है, जो शनि से संबंधित हैं।

4. भोजन:

इस दिन नए अन्न से बनी खिचड़ी भगवान को समर्पित कर प्रसाद रूप में ग्रहण करें। माना जाता है कि इस दिन संध्या के बाद अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए।

दान का महत्व

मकर संक्रांति पर दान करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सूर्य देवता शनि के शत्रु माने जाते हैं, लेकिन सूर्य शनि को शत्रु नहीं मानते। इसीलिए मकर संक्रांति के दिन सूर्य और शनि से जुड़ी वस्तुओं जैसे खिचड़ी, तिल, गुड़, कंबल, और बर्तन दान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।

खिचड़ी को इस पर्व का प्रमुख भोजन माना जाता है क्योंकि इसमें शामिल सामग्री (चावल, उड़द दाल, बाजरा) शनि ग्रह से जुड़ी होती है। यह दान शनि से जुड़े कष्टों से मुक्ति दिलाता है और शुभ परिणाम प्रदान करता है।

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