गिरिडीह: औद्योगिक क्षेत्र में वन विभाग की जमीन पर अवैध रूप से फैक्ट्रियां बनाए जाने के मामले को लेकर मंगलवार को माले (भाकपा-माले) के नेतृत्व में असंगठित मजदूर मोर्चा के प्रतिनिधियों ने गिरिडीह वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) मनीष तिवारी से मुलाकात की। प्रतिनिधियों ने डीएफओ को लिखित आवेदन सौंपते हुए हरसिंहरायडीह, अजीडीह, श्रीरामपुर, मँझलाडीह और महुवातांड समेत कई इलाकों में वन भूमि पर स्थापित फैक्ट्रियों की जांच की मांग की।
माले नेताओं ने आरोप लगाया कि इन क्षेत्रों में लंगटा बाबा कारखाना, कस्तूरी राइस मिल, चिप्स प्लांट, तार और काटी प्लांट, निरंजन हाईटेक और वेंकटेश्वर स्पंज आयरन जैसी कई फैक्ट्रियां अवैध रूप से चल रही हैं। इन फैक्ट्रियों के कारण जंगलों का विनाश हो रहा है, जिससे वन्यजीवों का पलायन हो गया है और प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है।
डीएफओ ने जांच का दिया आश्वासन
मामले पर डीएफओ मनीष तिवारी ने प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि जल्द ही सभी कागजातों की जांच कराई जाएगी और उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस शिकायत को संज्ञान में लेकर वन विभाग की जमीन पर अवैध कब्जे की जांच करवाई जाएगी।
उपायुक्त को भी सौंपा जाएगा आवेदन
माले नेताओं ने बताया कि जल्द ही गिरिडीह उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा को भी इस संबंध में लिखित आवेदन सौंपा जाएगा और निष्पक्ष जांच की मांग की जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे पहले भी 24 दिसंबर 2024 को उपायुक्त सभागार में हरसिंहरायडीह मौजा से संबंधित नक्शा और अंचल अधिकारी द्वारा वन विभाग को सौंपे गए दस्तावेज प्रस्तुत किए गए थे, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
माले नेता राजेश सिन्हा ने कहा कि वन भूमि के नक्शे और अंचल अधिकारी द्वारा वन विभाग को सौंपे गए दस्तावेजों के आधार पर जांच की मांग की गई है। यदि जांच में गड़बड़ी साबित होती है, तो प्रशासन को अविलंब कार्रवाई करनी होगी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर कार्रवाई नहीं हुई, तो ग्रामीणों को संगठित कर बड़े आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
प्रदूषण और सीएसआर फंड से विकास की मांग
सिन्हा ने कहा कि इन फैक्ट्रियों के कारण प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है। हजारों एकड़ जमीन बंजर होती जा रही है, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। उन्होंने मांग की कि फैक्ट्री संचालक सीएसआर फंड के तहत पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़े पैमाने पर पौधारोपण करें और क्षेत्र में स्वास्थ्य, पेयजल, सड़क, सुरक्षा और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करें।
एक्टू नेता शंकर पांडेय ने भी कहा कि दस्तावेजों में गड़बड़ी के संकेत मिल रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि वन विभाग और जिला प्रशासन समय पर जांच नहीं करता, तो एक महीने बाद माले और असंगठित मजदूर मोर्चा आंदोलन के मोड में आ जाएगा।
मौजूद रहे प्रतिनिधि
इस अवसर पर माले नेता राजेश सिन्हा, एक्टू नेता शंकर पांडेय, असंगठित मजदूर मोर्चा के सचिव कन्हाई पांडेय, किशोर राय, दीपक गोस्वामी, मधुसूदन कौल, भीम कौल, धूमा टुडू, मोहन कौल, मजहर, नौशाद राजा और सुमन समेत कई अन्य लोग मौजूद थे।
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