रांची के रानी अस्पताल में दो साल के एक बच्चे को गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के लक्षणों के आधार पर भर्ती किया गया है। अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक और संचालक डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि बच्चे की हालत नाजुक थी, लेकिन दवा शुरू करने के बाद अब उसमें हल्का सुधार देखा जा रहा है। उसे हाई फ्लो ऑक्सीजन पर रखा गया है और डॉक्टरों की टीम लगातार उसकी निगरानी कर रही है।
इससे पहले, रिम्स में भर्ती सात साल की बच्ची और बालपन अस्पताल में भर्ती साढ़े पांच साल की बच्ची भी इसी बीमारी से जूझ रही थीं। डॉक्टरों के अनुसार, इन दोनों बच्चों की स्थिति पहले से बेहतर है, लेकिन उनके हाथ-पैर की कमजोरी अभी भी बनी हुई है।
डॉ. राजेश ने कहा,
“गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के मरीजों को पूरी तरह ठीक होने में थोड़ा समय लगता है। खासतौर पर गंभीर रूप से प्रभावित बच्चों की रिकवरी धीमी हो सकती है। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है, सही समय पर इलाज मिलने से बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हो सकते हैं।”
क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम?
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली (इम्यून सिस्टम) नसों पर हमला करने लगती है। इससे हाथ-पैरों में कमजोरी, सांस लेने में दिक्कत, बुखार और डायरिया के बाद कमजोरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
डॉ. अनिताभ ने अभिभावकों से घबराने की बजाय लक्षणों पर ध्यान देने की सलाह दी है। उन्होंने कहा,
“गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से प्रभावित अधिकांश लोग पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में हल्की कमजोरी कुछ दिनों तक बनी रह सकती है।”
रिम्स में विशेष तैयारी:
रांची के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स (RIMS) ने इस बीमारी के बढ़ते मामलों को देखते हुए विशेष तैयारी की है। रिम्स के निदेशक डॉ. राजकुमार ने बताया कि
“हमने गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के इलाज के लिए विशेष बेड की व्यवस्था की है। अस्पताल में इस बीमारी की जांच के लिए सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं।”
उन्होंने आगे कहा,
“अगर किसी मरीज को सांस लेने में समस्या हो रही है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि हर संदिग्ध मरीज में वायरल जैसे लक्षण दिखाई दें। इसलिए ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है, बल्कि डॉक्टरों की सलाह पर अमल करना चाहिए।”
अभिभावकों के लिए जरूरी सलाह:
1. अगर बच्चे को बुखार, हाथ-पैरों में कमजोरी या सांस लेने में दिक्कत हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
2. डायरिया के बाद कमजोरी को नजरअंदाज न करें, यह गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का शुरुआती संकेत हो सकता है।
3. बच्चों की इम्युनिटी मजबूत करने के लिए पौष्टिक आहार दें और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
4. डॉक्टरों की सलाह को नजरअंदाज न करें और घबराने की बजाय सही समय पर इलाज कराएं।
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