गिरिडीह: आदिवासी छात्रसंघ के नेतृत्व में बस स्टैंड स्थित जाहेर थान में सरहुल महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। इस पर्व में जिलेभर के आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए। सरहुल, जिसे बहा बोंगा पर्व के नाम से भी जाना जाता है, आदिवासियों का प्रकृति से जुड़ा प्रमुख त्योहार है। इस अवसर पर पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार आदिवासी पुरोहित नायके बाबा द्वारा जाहेरथान पूजा स्थल में विधिवत पूजा संपन्न कराई गई। उन्होंने समाज की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की।
पूजा संपन्न होने के बाद पारंपरिक नृत्य शैली में रोड शो निकाला गया, जिसमें मांझी थान से लेकर शहरी क्षेत्र का भ्रमण करते हुए सभी HE+2 छात्रावास प्रांगण पहुंचे। यहां कार्यक्रम का मुख्य आयोजन हुआ, जिसमें सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी गईं।
मंत्री और गणमान्य लोग हुए शामिल
इस अवसर पर झारखंड सरकार के मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू, जिला बीस सूत्री उपाध्यक्ष संजय सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने सभी को बहा पर्व की शुभकामनाएं दीं और आदिवासी संस्कृति के महत्व को रेखांकित किया।
समाज के प्रमुख लोग रहे मौजूद
कार्यक्रम में आदिवासी समाज के नूनका टुडू, नुनु लाल मरांडी, नुनु राम किस्कू, सिकंदर हेंब्रम, आदिवासी छात्रसंघ के जिला अध्यक्ष प्रदीप सोरेन, सचिव मदन हेंब्रम, मीडिया प्रभारी रमेश मुर्मू, कोषाध्यक्ष चांद सोरेन सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। इसके अलावा समाज के कई अन्य सदस्य, छात्र नेता और सामाजिक कार्यकर्ता भी इस महोत्सव में शामिल हुए।
सरहुल महोत्सव आदिवासी समाज की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और प्रकृति के प्रति उनकी गहरी आस्था का प्रतीक है। यह पर्व हर वर्ष उमंग और उत्साह के साथ मनाया जाता है, जिसमें समुदाय की एकता और परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन देखने को मिलता है।