गोड्डा: झारखंड का एकमात्र राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, जो गोड्डा जिले में स्थित है, बदहाली के दौर से गुजर रहा है। इस गंभीर स्थिति को लेकर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने चिंता जताई है और राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है और इसके पीछे राज्य सरकार की लापरवाही और उदासीन रवैया जिम्मेदार है।
अजय साह ने आरोप लगाया कि वर्षों बीत जाने के बावजूद इस कॉलेज में आज तक स्थायी प्राचार्य की नियुक्ति नहीं की गई है। प्राचार्य की अनुपस्थिति में प्रशासनिक कार्य लगभग ठप हो चुके हैं। कॉलेज के लिए 42 शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में मात्र 8 से 10 शिक्षक कार्यरत हैं। इससे न केवल पढ़ाई की गुणवत्ता प्रभावित हुई है, बल्कि छात्र-छात्राओं का भविष्य भी अधर में लटक गया है।
छात्रावास और सुविधाओं की भारी कमी
साह ने बताया कि कॉलेज में छात्रावास की व्यवस्था बेहद दयनीय है। खासकर छात्राओं को हॉल जैसी अस्थायी जगहों पर बिना किसी मूलभूत सुविधा के रखा गया है, जो सुरक्षा और स्वास्थ्य दोनों दृष्टिकोण से गंभीर चिंता का विषय है। वहीं इंटर्न हॉस्टल के अभाव में विद्यार्थियों को हर दिन लगभग 40 किलोमीटर की दूरी तय कर कॉलेज आना-जाना पड़ता है। इससे न केवल उनका कीमती समय बर्बाद हो रहा है, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं का भी खतरा बढ़ गया है।
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कम स्टाइपेंड, समय पर भुगतान नहीं
भाजपा प्रवक्ता ने यह भी कहा कि इंटर्नशिप कर रहे छात्रों को आयुष मंत्रालय द्वारा निर्धारित मानकों से काफी कम, मात्र ₹10,000 मासिक स्टाइपेंड दिया जा रहा है, वह भी समय पर नहीं मिल पाता। इससे छात्रों की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ रहा है और वे मानसिक तनाव में हैं।
प्रयोगशालाओं की हालत भी जर्जर
कॉलेज की प्रयोगशालाओं की स्थिति पर सवाल उठाते हुए साह ने कहा कि यहां उपकरणों की भारी कमी है, जिससे छात्रों को प्रयोगात्मक शिक्षा से वंचित रहना पड़ रहा है। यह स्थिति देश के भविष्य डॉक्टरों के लिए बेहद निराशाजनक है।
अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं का अभाव
गोड्डा होम्योपैथिक कॉलेज से जुड़े अस्पताल की हालत भी दयनीय है। डॉक्टरों और कर्मचारियों की भारी कमी के कारण कई विभाग बंद पड़े हैं। मरीजों को दवा, एक्स-रे और खून जांच जैसी बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएँ भी नहीं मिल पा रही हैं। इतना ही नहीं, अस्पताल में न तो एंबुलेंस की सुविधा है और न ही किसी तरह की भर्ती व्यवस्था मौजूद है। बिजली गुल हो जाने पर भी कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है, जिससे मरीज और डॉक्टर दोनों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
मान्यता रद्द होने की चेतावनी
अजय साह ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जल्द ही कॉलेज की स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो इसकी मान्यता भी रद्द हो सकती है। उन्होंने सवाल किया कि जब सरकार द्वारा करोड़ों रुपये की स्वीकृति दी जा चुकी है, तो फिर ज़मीन पर उसका असर क्यों नहीं दिख रहा है?
‘रिम्स 2’ की बात करने से पहले सुधारें मौजूदा संस्थान
सरकार द्वारा रिम्स 2 की घोषणा पर तंज कसते हुए साह ने कहा कि नए संस्थानों की बात करने से पहले सरकार को मौजूदा शैक्षणिक और चिकित्सा संस्थानों की स्थिति सुधारनी चाहिए। उन्होंने सरकार से मांग की कि गोड्डा होम्योपैथिक कॉलेज एवं अस्पताल की समस्याओं को प्राथमिकता पर लेकर शीघ्र समाधान किया जाए, ताकि राज्य के एकमात्र होम्योपैथिक कॉलेज की गरिमा और गुणवत्ता बरकरार रह सके।