गिरिडीह जिले के भेलवाघाटी पंचायत में मनरेगा घोटाला उजागर, 11 पदाधिकारियों से वसूले जाएंगे 6 लाख रुपये से ज्यादा

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गिरीडीह: देवरी प्रखंड की भेलवाघाटी पंचायत में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत संचालित योजनाओं में व्यापक गड़बड़ी सामने आई है। इस घोटाले का खुलासा विभागीय जांच के बाद हुआ, जिसके बाद जिला प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए कुल 11 अधिकारियों और कर्मियों पर आर्थिक दंड अधिरोपित किया है।

जांच में 14 योजनाएं मिलीं दोषपूर्ण, अनियमित खर्च का मामला उजागर

उपायुक्त कार्यालय द्वारा जारी आधिकारिक सूचना के अनुसार, भेलवाघाटी पंचायत की 14 मनरेगा योजनाओं में तय प्राक्कलन से अधिक राशि की निकासी, गुणवत्ता में कमी और अन्य अनियमितताओं की पुष्टि हुई है। जुलाई 2023 में विभागीय जांच दल द्वारा किए गए निरीक्षण की रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई की गई है। यह रिपोर्ट देवरी बीडीओ द्वारा अक्टूबर 2024 में जिला प्रशासन को भेजी गई थी।

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इन पर लगा जुर्माना, जुर्माना न देने पर होगी सख्त कार्रवाई

जांच में दोषी पाए गए अधिकारियों और कर्मियों में देवरी प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO), प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी (BPO), सहायक अभियंता (AE), कनीय अभियंता (JE), पंचायत मुखिया, रोजगार सेवक, पंचायत सेवक, कंप्यूटर सहायक, अकाउंट असिस्टेंट, बीएफटी मेट और वेंडर शामिल हैं।

इनमें BDO, BPO, AE, JE, मुखिया, रोजगार सेवक, पंचायत सेवक और कंप्यूटर सहायक—इन आठों पर समान रूप से ₹76,422 का जुर्माना लगाया गया है। वहीं, अकाउंट असिस्टेंट, बीएफटी मेट और वेंडर पर ₹25,410 का दंड अधिरोपित किया गया है। कुल मिलाकर इन सभी से ₹6 लाख से अधिक की वसूली का आदेश जारी हुआ है।

प्रशासन ने सभी संबंधित व्यक्तियों को 30 दिनों की समय सीमा के भीतर यह राशि जमा करने का निर्देश दिया है। साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि इस अवधि में जुर्माना नहीं भरा गया, तो संबंधितों के खिलाफ कानूनी और विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

पंचायत स्तर पर लापरवाही उजागर, प्रशासन का सख्त रुख

इस प्रकरण से यह स्पष्ट हुआ है कि पंचायत स्तर पर सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भारी लापरवाही बरती जा रही है। मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराना है, उसमें भ्रष्टाचार और अनियमितता का होना बेहद चिंताजनक है।

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