किसी भी इंसान की अच्छी सेहत के लिए पर्याप्त नींद लेना जरूरी होता है. नींद की कमी से व्यक्ति को दिमाग के साथ शरीर में कई तरह की समस्याएं हो सकती है. कई गंभीर बीमारियां शरीर को जकड़ सकती है. इसी वजह से पर्याप्त नींद लेना जरूरी होता है. नींद का संबंध खान-पान की आदतों से भी होता है. कई बार हम सोने से पहले ऐसी चीजों का सेवन करते हैं तो हमारी नींद में खलल डाल सकते हैं. ऐसे में रात को सोने से पहले कुछ चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. जानते हैं इनके बारे में.
टमाटर
डॉक्टर्स के अनुसार, कैफीन इंसान के स्लीपिंग पैटर्न को बुरी तरह से बिगाड़ सकता है. रोजाना खान—पान की कुछ चीजों में कैफीन पाया जाता है. रिपोर्ट के अनुसार, सोने से पहले टमाटर खाने से व्यक्ति की नींद बिगड़ सकती है. टमाटर एसिड रिफलक्स का कारण बन सकता है और डाइजेशन से जुड़ी दिक्कतें बढ़ा सकता है. ‘द सन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, टमाटर बेचैनी बढ़ा सकता है. ऐसे में व्यक्ति के स्लीपिंग पैटर्न पर बुरा असर पड़ सकता है.
प्याज
टमाटर के अलावा सोने से पहले प्याज खाना भी सेहत के लिए खरतनाक हो सकता है. रिपोर्ट के अनुसार, प्याज व्यक्ति के डायजेस्टिव सिस्टम को बिगाड़ सकता है. रिपोर्ट के अनुसार, ‘द स्लीपिंग एसोसिएशन’ के मुताबिक प्याज पेट में गैस बनाने का काम करती है. ये गैस पेट के दबाव को प्रभावित करती है जिससे एसिड ऊपर गले की तरफ बढ़ता है, खासतौर से जब आप सीधे लेट जाते हैं. ऐसे में सोने से पहले कच्चा या पका हुआ प्याज दोनों ही नहीं खाने चाहिए।
चॉकलेट और दर्द निवारक दवाएं
प्याज और टमाटर के अलावा सोने से पहले ऐसी चीजों के सेवन से भी दूर रहना चाहिए जिनमें कैफीन की मात्रा हो. कैफीन स्लीपिंग पैटर्न को प्रभावित करता है. कई खाद्य पदार्थों और ड्रिंक्स में कैफीन पाया जाता है. चाय, कॉफी और विभिन्न प्रकार के फिजि ड्रिंक्स में कैफीन मिला होता है. इसके अलावा चॉकलेट और दर्द में आराम देने वाली दवाओं में भी कैफीन हो सकता है. ऐसे में सोने से पहले इन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए.
नींद की कमी से हो सकती है ये परेशानियां
रिपोर्ट के अनुसार, नींद की कमी ब्रेन फंक्शन पर बुरा असर डाल सकती है. इसके साथ ही शरीर में भी कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं. दिन में सात घंटे से कम नींद लेने वाले लोगों का वजन कंट्रोल नहीं रहता है और सामान्य लोगों की तुलना में वे मोटापे का जल्दी शिकार होते हैं. इसके साथ ही नींद की कमी से शरीर में लेप्टिन (भूख को शांत रखने वाला केमिकल) के लेवल में कमी आती है और घ्रेलिन (भूख बढ़ाने वाला हार्मोन) का लेवल बढ़ता है।
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