गिरिडीह/ चंदन पांडे:- श्री कबीर ज्ञान मंदिर में मां ज्ञान महायज्ञ का आयोजन बहुत ही धूमधाम से तीन चार एवं 5 जुलाई 2023 को किया जा रहा है इस अवसर पर मंदिर प्रांगण को भव्य तरीके से सजाया गया है और बहुत है भव्य शोभायात्रा 3 जुलाई 2023 को निकाली जाएगी इसमें संस्कृति के गौरव को जगाने वाली झांकियों का समावेश किया जाएगा। इस अवसर पर सद्गुरु को ज्ञान द्वारा लिखित दो अद्वितीय पुस्तक हमारे श्री राम एवं जाति का सच का लोकार्पण भी किया जाएगा विदित हो कि श्री कबीर ज्ञान मंदिर आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। यह वह स्थान है जहां परम वंदनीय सतगुरु मां ज्ञान द्वारा अध्यात्म में शिखरासीन करने वाली उपदेशों का अमृत पान कराया जाता है जिसमें जीवन जीने की कला सिखाई जाती है।
श्री कबीर ज्ञान मंदिर से अनवरत लोक कल्याणकारी कार्य किए जाते हैं।वर्तमान में मां ज्ञान कौशल के नाम से बहनों एवं महिलाओं को स्वावलंबन के लिए निशुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसे लगभग 1000 बच्चियां लाभ ले रहे हैं। समय-समय पर रक्तदान शिविर निशुल्क जांच निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जाता है। वर्तमान में आयोजित माया ज्ञान महायज्ञ में लगभग ढाई हजार की संख्या में श्रद्धालुओं के भाग लेने की संभावना है।संत कबीर अद्भुत संत है, वे जातिवाद मत मजहब के संत नहीं, अपितु मानव मात्र के संत हैं। कबीर में एक साथ सभी गुण प्रकट है। उनकी वाणियों को मानने से उनके वाणियों का अनुसरण करने से व्यक्ति का जीवन बहुमूल्य प्रतिभाओं का धनी बन जाएगा। ऊंच-नीच की दीवारें हटकर मानव में प्रेम का विकास होगा। कबीर की वाणी आपसी वैमनस्यता को हटाकर सद्भावना और प्रेम का विकास कराती है।
कबीर साहब एक ऐसे संत हैं जिन्होंने अपने सारगर्भित उपदेशों से दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया। धर्म की आड़ में छुपे अधर्म का पर्दाफाश किया।उन्होंने सनातन मूल्यों के महत्व को जन-जन के पास पहुंचाने का प्रयास किया और ताते हिंदू रहिए का संदेश दिया।
श्री कृष्ण के गीता और सदगुरु कबीर के बीजक दोनों में काफी समानता है ऐसे सद ग्रंथ है, जो मानवीय मूल्यों को शिखरासीन करने का कार्य करते हैं।
सनातन धर्म की विशेषता और सनातन मूल्यों का पोषण राष्ट्र को पुनः विश्व गुरु बनाने की सीढ़ी है।
वंदनीय मां ज्ञान ने अपने उपदेशों में कहा है कि हम वैसे धर्म में हैं, जहां जर्रे जर्रे से प्रेम करना सिखाया जाता है। जड़ हो या चेतन, मिट्टी हो या पर्वत, पेड़ हो या पशु, जो भी हमारे लिए उपादेय हैं, हमें उनका ऋणी बनकर उनका पूजन करना चाहिए। सनातन धर्म ही एक ऐसा धर्म है, जिसमें धरती को माता और आसमान को पिता की संज्ञा दी गई है। हमारे पास बीजक और श्रीमदभगवत गीता जैसे अमृत है, जिसका जन-जन में प्रचार करना और अपने बच्चों में अपने संस्कृति के प्रति गौरवबोध भरना उज्जवल भविष्य की नींव है, अतः सबों को एकजुट होकर इसका प्रयास करना चाहिए।उक्त जानकारी श्री कबीर ज्ञान मंदिर ट्रस्ट के सिद्धांत कंधवे ने दी।
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