कभी बेचे थे मां के गहने, आज लोगों के जुबान पर है उनकी कंपनी का नाम


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इंसान अगर ठान ले तो क्या नहीं कर सकता। इंसान के मजबूत इरादे ही उन्हें उस मोड पर लेकर जा सकते है जहां कामयाबी उनकी कदम चूमती है। आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स से मिलवाने वाले है जिन्होंने कड़ी मेहनत से आज 2000 करोड़ की कंपनी अपनी जेब में रखी है। हम बात कर रहे है सुभाशीष चक्रवर्ती की। 

एक साधारण से परिवार में जन्मे सुभाशीष चक्रवर्ती की जिंदगी भी किसी प्रेरणादाई कहानी से कम नहीं है। बता दे कि सुभाशीष चक्रवर्ती को साइंस पढ़ने में रुचि थी और उन्होंने साइंस में अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए छोटी-मोटी नौकरी भी की। पढ़ाई और जॉब में संतुलन बनाना इतना आसान नहीं था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने छोटी-मोटी नौकरी कर अपनी पढ़ाई जारी रखी और इनका फल उन्हें तब मिला जब भी कॉलेज के केमिस्ट्री में गोल्ड मेडल लेकर निकले। बता दे कि कभी आर्थिक तंगी झेलने वाले सुभाशीष चक्रवर्ती आज 2000 करोड रुपए की कंपनी चलाते हैं। 

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सुभाशीष चक्रवर्ती की कंपनी का नाम आज देश के हर व्यक्ति के जुबान पर है। उनकी कंपनी से आप भी बहुत ही अच्छी तरह से वाकिफ होंगे। यदि किसी कोरियर कंपनी का नाम लेने कहा जाए तो आप किसका नाम लेंगे डीटीडीसी है ना? 

आज के जमाने में डीटीडीसी हर किसी के जुबान पर पहला नाम है बता दे कि सुभाशीष चक्रवर्ती डीटीडीसी के ही फाउंडर है। फिलहाल सुभाशीष चक्रवर्ती इस कंपनी में अध्यक्ष और मैनेजिंग डायरेक्टर की पद पर कार्यरत है। DTDC का इस्तेमाल तो सभी ने किया होगा किसी ने कई बार इसे कूरियर भेजा होगा तो किसी के घर या ऑफिस तक डीटीडीसी से कूरियर आया होगा। लेकिन इसके बाद यह सवाल मन में उठता हुआ कि कैमिस्ट्री में गोल्ड मेडल पाने वाला शख्स आखिर कूरियर के धंधे में कैसे चला गया? और चला भी गया तो कैसे हजारों करोड़ की वैल्यू वाली कंपनी खड़ी कर दी? तो आईए जानते है सुभाशीष चक्रवर्ती की पूरी कहानी। 

मिडिल क्लास फैमिली में पहले बड़े सुभाषित चक्रवर्ती रामकृष्ण मिशन रेजिडेंशियल कॉलेज में केमिस्ट्री की पढ़ाई की थी और गोल्ड मेडल हासिल की थी लेकिन पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने एक बड़ी इंश्योरेंस कंपनी पीयरलेस के साथ भी काम करना शुरू कर दिया था पीयरलेस पूर्वी भारत में तो अच्छा काम कर रही थी लेकिन दक्षिण भारत में उसे कोई नहीं जानता था। इसलिए सुभाषित को बेंगलुरु 1981 में भेजा गया और उन्हें वहां पीयरलेस का इंश्योरेंस बिजनेस स्थापित करने को कहा गया। वे वहां कुछ वर्षों तक काम करते रहे लेकिन उनके मन में बिजनेस करने की रुचि थी। उनकी केमिकल्स में अच्छी जानकारियां थी और वह केमिकल्स में ही कुछ बिजनेस करना चाहते थे उन्होंने 1987 में इंश्योरेंस कंपनी को अलविदा कर दिया और केमिकल डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी शुरू कर दी। हालांकि जैसा सोचा था वैसा हुआ नहीं और यह बिजनेस चला नहीं। कहा जाता है कि इसके न चलने के पीछे का कारण पोस्टल सर्विस था।उन्हें कोरियर कंपनी के साथ डील करने में काफी समस्याएं हो रही थी। जब उन्होंने देखा कि पोस्टल सर्विस और ग्राहकों के बीच एक बहुत बड़ा गैप है तो वहां से उनके जीवन ने नया मोड़ लिया। सुभाशीष ने कैमिकल से नाता तोड़कर 26 जुलाई 1990 में DTDC नामक अपनी कूरियर कंपनी शुरू कर दी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि DTDC का पूरा नाम डेस्क टू डेस्क कूरियर एंड कार्गो (Desk to Desk Courier & Cargo) है।

कुछ समय डीटीडीसी में काम करने के बाद ही सुभाषित चक्रवर्ती को समझ में आ गया की कोरियर सर्विस की ज्यादा डिमांड छोटे शहरों में है जैसे मैं और मंगलौर और हुबली के साथ-साथ केरल तमिलनाडु आंध्र प्रदेश के छोटे-छोटे शहरों में इसकी ज्यादा जरूरत है। 1990 में 20,000 रुपये लगाकर शुरू किए गए बिजनेस को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। बता दे कि इस बिजनेस के लिए बैंक ने लोन देने से भी मना कर दिया था क्योंकि वेंचर कैपिटल ही नहीं थी फिर सुभाशीष ने दिल पर पत्थर रखकर अपनी मां के गहने बेचकर बिजनेस को चलाना जारी रखा।परंतु वह भी कुछ ही महीनों चल सका। फिर से पैसे का संकट आन पड़ी।

 फिर 1991 में सुभाशीष को ऐसी तरकीब सूझी जिसने इस बिजनेस का रुख ही पलट दिया।उन्होंने फ्रेंचाइजी मॉडल की शुरुआत की। क्षेत्रों को ज़ोन में बांटा गया। एक रीजनल ब्रांच 30 फ्रेंचाइजी संभालने लगी। कुछ ही समय बाद DTDC ने अपना सॉफ्टवेयर और कंप्यूटर सिस्टम भी फ्रेंचाइजीज़ पर उपबल्ध करवा दिया, ताकि ऑर्डर की रियल-टाइम ट्रैकिंग हो सके। यह एक ऐसी क्रांति थी, ग्राहक जिसकी जरूरत काफी समय से महसूस कर रहे थे। अब कूरियर भेजने वाला यह जान सकता था कि उसका पैकेट कहां तक पहुंचा है और कब वह सही हाथों तक पहुंच जाएगा।

फ्रेंचाइजी का आईडिया कम कर गया और गाड़ी अच्छे से चल पड़ी। बता दे की यह कंपनी फिलहाल 14000 पिन कोड्स तक पहुंच बन चुकी है। रिटेल ग्राहकों और बिजनेस दोनों के लिए डिलीवरी सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनी आपके घर से पिकअप कर सकती है और कहीं भी डिलीवरी दे सकती है। DTDC की वेबसाइट के मुताबिक, इसके नेटवर्क में 14,000 फिजिकल कस्टमर एक्सेस पॉइन्ट हैं। 96 फीसदी भारत के ही हैं। इसके अलावा इंटरनेशनल लेवल पर की उपस्थिति है। दुनिया के 220 डेस्टिनेशन ऐसे हैं, जहां पर DTDC की सेवाएं उपलब्ध हैं।

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