हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गुरुवार को I.N.D.I.A. डुमरी में अपनी ताकत दिखायेगा। इस शक्ति प्रदर्शन के बीच I.N.D.I.A. उम्मीदवार झामुमो की बेबी देवी अपना नामांकन करेंगी। शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के निधन से रिक्त हुई जिले की डुमरी विधानसभा सीट पर 5 सितंबर को उप चुनाव होने वाला है। आज इस उपचुनाव में नामांकन का अंतिम दिन है। नामांकन के अंतिम दिन झामुमो की प्रत्याशी बेबी देवी अपना नामांकन करेंगी वहीं, आजसू पार्टी की यशोदा देवी NDA कैंडिडेट के रूप में अपना नामांकन दर्ज करायेंगी। यह उपचुनाव I.N.D.I.A. और NDA दोनों के लिए अहम है। I.N.D.I.A. जहां यह सीट जीत कर अपनी एकजुटता का परिचय देगा, वहीं NDA झारखंड में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए यह सीट जीतना चाहेगा। इसलिए माना जा रहा है कि यह सीट दोनों गुटों के लिए मान-सम्मान-अभिमान का प्रश्न बन गया है।
I.N.D.I.A. दिखायेगा अपनी ताकत
मंत्री बेबी देवी के नामांकन I.N.D.I.A. के शक्ति प्रदर्शन के बीच होगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, मंत्री सत्यानंद भोगता (राजद), मंत्री बादल पत्रलेख (कांग्रेस) के अलावा गिरिडीह विधायक सुदीप कुमार गांडेय विधायक डॉ सरफराज अहमद सहित I.N.D.I.A. गठबंधन के कई नेता मौजूद रहेंगे। बेबी देवी के नामांकन के बाद केबी हाई स्कूल के मैदान में चुनावी सभा होगी जिसे सीएम हेमंत सोरेन समेत साथी दलों के नेता संबोधित करेगे।
NDA प्रत्याशी के नामांकन में भी कई नेता रहेंगे मौजूद
एनडीए उम्मीदवार आजसू पार्टी की नेता यशोदा देवी भी गुरुवार को ही नामांकन पत्र दाखिल करेंगी। इस दौरान केन्द्रीय मंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी, गिरिडीह के सांसद चन्द्र प्रकाश चौधरी, आजसू प्रमुख सुदेश महतो समेत कई पूर्व सांसद, विधायक एवं एनडीए गठबंधन के नेता कार्यकर्ता उपस्थित रहेंगे।
उपचुनाव की तैयारियों में पहले से जुटे हैं सीएम हेमंत सोरेन
गिरिडीह के डुमरी विधानसभा के उपचुनाव की घोषणा होने के पहले से ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उपचुनाव की तैयारी में जुट गये थे। इस सीट पर झामुमो की वैसे तो दावेदारी मजबूत है, लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। वैसे भी अभी देश में चुनावी माहौल चल रहा है। सभी पार्टियों के समक्ष अपनी दावेदारी और अपनी ताकत का अहसास करने की होड़ मची हुई है। मुख्यमंत्री हेमंत फिलहाल डुमरी जीत कर विपक्ष के साथ अपने सहयोगियों को भी अहसास कराना चाहते हैं कि झामुमो की पकड़ झारखंड में और भी मजबूत हुई है।
झामुमो के लिए कितना आसान होगा एनडीए से लड़ना
यह सही है कि डुमरी विधानसभा चुनाव 2019 में झामुमो उम्मीदवार जगरनाथ महतो ने शानदार जीत दर्ज की थी। आजसू की उम्मीदवार यशोदा देवी की तुलना में लगभग दोगुना वोटों के अंतर से जीते थे जगरनाथ महतो। लेकिन यह उस समय इस लिए सम्भव हुआ था क्योंकि 2019 में भाजपा और आजसू आपनी मतभेद के कारण एक साथ चुनाव नहीं लड़े थे। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। आजसू न सिर्फ झारखंड में भाजपा के साथ है, बल्कि 2014 की मुहिम में भी एनडीए के साथ मिल कर चुनाव लड़ने को तैयार है।
2019 में एनडीए का वोट बंट गया था
दरअसल, शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के निधन के बाद डुमरी सीट खाली हुई है. यह जेएमएम की सीट थी, लगातार तीन बार डुमरी से जगरनाथ महतो विधायक निर्वाचित होते रहे थे. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में डुमरी सीट पर आजसू पार्टी और बीजेपी ने अपने-अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए थे. इससे एनडीए के वोट बंट गए और जगरनाथ महतो चुनाव जीत गए थे. साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में जेएमएम के टिकट पर लड़े जगरनाथ महतो को 71,128 वोट लेकर जीत दर्ज की थी. बीजेपी उम्मीदवार को 36013 वोट आए थे, जबकि आजसू पार्टी के प्रत्याशी को 36,840 वोट मिले थे. गिरिडीह लोकसभा की सीट भी अभी आजसू के कब्जे में है और आजसू अभी बीजेपी के साथ है. डुमरी सीट गिरिडीह संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत ही आती है. अगर दोनों दल संयुक्त प्रत्याशी खड़ा करते हैं तो जेएमएम के को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है.
2019 के विधानसभा चुनाव में आजसू का प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहा था
इसलिए इस बात की ज्यादा संभावना है कि एनडीए आजसू पार्टी की और से प्रत्याशी खड़ा करना चाहेगा, (Dumri Assembly By-Election) क्योंकि वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में इस पार्टी का प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहा था. भाजपा यहां तीसरे नंबर पर रही थी. इस बार राज्य में दोनों पार्टियां एकजुट होकर चुनाव लड़ने को तैयार हैं. इस बार उपचुनाव में भाजपा और आजसू पार्टी अगर एक हो गई तो झामुमो प्रत्याशी के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी.
पांच उपचुनावों में गठबंधन ने दर्ज की चार बार जीत
झारखंड में वर्ष 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद से अब तक पांच उपचुनाव हो चुके हैं. दुमका, मधुपुर, बेरमो, मांडर और रामगढ़ सीटों पर अलग-अलग वजहों से हुए उपचुनाव में झामुमो की अगुवाई वाले सत्ताधारी गठबंधन ने चार बार जीत दर्ज की. सिर्फ एक सीट रामगढ़ का परिणाम, सत्ताधारी गठबंधन के खिलाफ गया. यहां कांग्रेस के प्रत्याशी को एनडीए (आजसू) प्रत्याशी के सामने पराजय का सामना करना पड़ा था।
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